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अगर ख़ुदा है तो मैं नहीं हूँ अगर हूँ मैं तो ख़ुदा नहीं है अज्ञात
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अगरचे नफ़्स-ए-अम्मारा में ये जुम्बिश नहीं होती अज्ञात
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अपने में दिखाता है जो अल्लाह का जल्वा अजमेर का ख़्वाजा अज्ञात
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अपना महरम जो बनाया तुझे मैं जानता हूँ अज्ञात
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अपनी ख़ुदी के हम हैं पुजारी अज्ञात
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अपनी निगाह-ए-शौक़ को रोका करेंगे हम अज्ञात
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अब क्या बताऊँ मैं तिरे मिलने से क्या मिला अज्ञात
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अब तंगी-ए-दामाँ पे न जा और भी कुछ माँग अज्ञात
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अल्लाह रे इंसान अल्लाह रे अल्लाह अज्ञात
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अल्लाह रे फ़ैज़-ए-आम दर-ए-दस्तगीर का अज्ञात
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अल्लाह रे ये मर्तबा-ओ-शान-ए-मोहम्मद अज्ञात
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अव्वल-ए-शब वो बज़्म की रौनक़ शम्अ' भी थी परवाना भी अज्ञात
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आँख लड़ने का बहाना हो गया अज्ञात
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आज उनके दामन पर अश्क मेरे ढलते हैं अज्ञात
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आज वो साक़ी हैं मैं मय-ख़्वार हूँ अज्ञात
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आज संदल है यूसुफ़ शरीफ़ का बू-ए-संदल महकने लगी है अज्ञात
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आता नज़र है जल्वा-ए-दीदार हर तरफ़ अज्ञात
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आता है दिल में बुत की परस्तिश किया करूँ अज्ञात
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आप आए तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया अज्ञात
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आप कौनैन की हैं जान रसूल-ए-’अरबी अज्ञात
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आमद से मुस्तफ़ा की हर इक शय बदल गई अज्ञात
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आया बना आया हरियाला बना आया राज दुलारा बना आया अज्ञात
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'आशिक़ों का कुल सर-ओ-सामाँ मोहम्मद मुस्तफ़ा अज्ञात
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आँसू किसी का देख कि बीमार मर गया अज्ञात
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आँसू मिरी आँखों में नहीं आए हुए हैं अज्ञात
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इक क़ियामत बन गई है आश्नाई आप की अज्ञात
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इक दम कोई गर देखे वो जल्वा-ए-जानाना अज्ञात
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'इनायत की नज़र हो जाए मुझ आफ़त के मारे पर अज्ञात
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इलाज-ए-दर्द-ए-दिल तुम से मसीहा हो नहीं सकता अज्ञात
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'इश्क़ की बर्बादियों की फिर नई तम्हीद है अज्ञात
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इ'श्क़ की हद से निकलते फिर ये मंज़र देखते अज्ञात
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'इश्क़-ए-नबवी क्या है कौनैन की दौलत है अज्ञात
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उठा वो जो था मीम का पर्दा शब-ए-मे'राज अज्ञात
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उनका हो कर ख़ुद उन्हें अपना बना सकता हूँ मैं अज्ञात
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उसे क्या पाओगे पाने की ख़ुद तदबीर उल्टी है अज्ञात
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उस की हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ अज्ञात
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उस की हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ अज्ञात
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उस ने भरी महफ़िल को दीवानः बना डाला अज्ञात
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उस यार को पहचानो जो सब से निराला है अज्ञात
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उसी गुम-शुदा का पता मिल गया है वहीं हैं मोहम्मद जहाँ पर ख़ुदा है अज्ञात
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एक नज़र मुझ पे भी वो ताज-ए-शफ़ा'अत वाले अज्ञात
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ऐ जमाल-ए-पाक-ए-तू ईमान-ए-मन अज्ञात
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ऐ दिल-ए-ज़ार इतना न बे-चैन हो मैं नै माना कि फ़ुर्क़त गवारा नहीं अज्ञात
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ऐ फ़ित्ना-ए-हर-महफ़िल ऐ महशर-ए-तन्हाई अज्ञात
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ऐ मिरे हम-नशीं चल कहीं और चल इस चमन में अब अपना गुज़ारा नहीं अज्ञात
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ऐ शो’ला-ए-जवाला जब से लौ तुझ से लगाए बैठे हैं अज्ञात
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ऐसे दिनन बरखा-रुत आइन घर नाईं हमरे श्याम रे अज्ञात
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कुछ कुफ़्र ने फ़ित्ने फैलाए कुछ ज़ुल्म ने शो'ले भड़काए अज्ञात
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कभी उन का नाम लेना कभी उन की बात करना अज्ञात
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क्या ग़म मेरी मदद पे अगर ग़ौस-ए-पाक हैं अज्ञात
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क्या पूछते हो हुस्न सरापा-ए-मदीना अज्ञात
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करें हम किस की पूजा और चढ़ाएँ किस को चंदन हम अज्ञात
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करम का वक़्त है हद से ज़्यादा है परेशानी अज्ञात
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करम हो जाए तो कर लूँ नज़ारा या रसूल-अल्लाह अज्ञात
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कलाम-ए-ख़ुदा है कलाम-ए-मोहम्मद अज्ञात
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कलिमा जो नहीं पढ़ता मोमिन नहीं कहलाता अज्ञात
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कस्मपुर्सी में ग़रीबों के सहारे ख़्वाजा अज्ञात
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कहें किस से कि उन आँखों से क्या क्या हम ने देखा है अज्ञात
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कहाँ जाए नज़र और जाए तो जाए किधर हो कर अज्ञात
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का'बे का शौक़ है न सनम-ख़ाना चाहिए अज्ञात
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का'बे में बस गया है सनम किस के वास्ते अज्ञात
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का'बे में भी है गर्मि-ए-बाज़ार-ए-मोहम्मद अज्ञात
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कितनी हसीन शक्ल मेरे मुस्तफ़ा की है अज्ञात
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किस क़दर महव-ए-तमाशा हो गया अज्ञात
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किस चीज़ की कमी है मौला तिरी गली में अज्ञात
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किस तर्ह से पुकारे तुम्हें क्या कहा करे अज्ञात
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किसी को हिज्र तड़पाए तुम्हें क्या अज्ञात
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कोई मज़ा मज़ा नहीं कोई ख़ुशी ख़ुशी नहीं अज्ञात
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ख़ुद अपने को पाना ही अल्लाह को पाना है अज्ञात
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ख़ुद की तहक़ीक़ में राज़ ये खुल गया अज्ञात
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ख़ुदा को मैं ने देखा है मेरे मुर्शिद की सूरत में अज्ञात
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ख़ुदा को याद करता हूँ सनम की आश्नाई में अज्ञात
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ख़ुदा बे-शक्ल था लेनी पड़ी सूरत मोहम्मद की अज्ञात
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ख़ुदा महफ़ूज़ रखे 'इश्क़ के जज़्बात-ए-कामिल से अज्ञात
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ख़ुदा-वंद-ए-मुतलक़ हमारा 'अली है अज्ञात
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ख़ूब रूयत के आश्ना हैं हम अज्ञात
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ख़लक़ के सरवर शाफ़ा-ए-महशर सल्लल्लाहो अलैहे-वसल्लम अज्ञात
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ख़ल्क़ कहती है जिसे दिल तिरे दीवाने का अज्ञात
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ख़ुलासा पंजतन का हैं मु’ईनुद्दीन-ओ-मुहिउद्दीं अज्ञात
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ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगाँ की चादर है अज्ञात
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ख़्वाब-ए-'अदम से 'इश्क़ ने हम को जगा दिया अज्ञात
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ख़ुशी में ख़फ़ी से निकल जा रहा है अज्ञात
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ख़ाना-ए-दिल में ख़ुदा था मुझे मा'लूम न था अज्ञात
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गंदुम को खा के 'रिज़वाँ' हैं ऐसे हाल में हम अज्ञात
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ग़ुबार-ए-कूचा-ए-मिर्ज़ा हूँ नक़्श-ए-आब नहीं अज्ञात
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ग़म-ए-इ'श्क़ में आह-ओ-फ़रियाद कैसी हर इक नाज़ उनका उठाना पड़ेगा अज्ञात
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गुरु दर्शन भगवान का दर्शन सिफ़त में ज़ात समाई रे अज्ञात
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चराग़-ए-ख़ाना-ए-ज़हरा-ओ-हैदर क़ुतुब-ए-रब्बानी अज्ञात
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छुड़ा देती है फ़िक्र-ए-ग़ैर से तासीर-ए-मय-ख़ाना अज्ञात
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छींटे देती हुई रिंदों को घटाएँ आई अज्ञात
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जनाब-ए-पीर सा अब कोई आक़ा हो नहीं सकता अज्ञात
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जनाब-ए-वारिस-ए-आल-ए-अबा की चादर है अज्ञात
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जफ़ा-ओ-जौर किया या वफ़ा हुआ सो हुआ अज्ञात
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जब ग़ैर नज़र से दूर हुआ और पाई सफ़ाई नैनन में अज्ञात
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जब मेरी दीद की उस को ख़्वाहिश हुई 'अर्श से फ़र्श पर मुझ को लाना पड़ा अज्ञात
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जब लुत्फ़-ए-बंदगी है अदा यूँ नवाज़ हो अज्ञात
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जब हुस्न-ए-अज़ल पर्दा-ए-इम्कान में आया अज्ञात
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जमाल-ए-सुब्ह-ए-अज़ल वज्ह-ए-कुन-फ़काँ तुम हो अज्ञात
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ज़र्रे-ज़र्रे से 'अयाँ शम्स-ओ-क़मर देखेंगे अज्ञात
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ज़ुल्म हम पर हर-आन होते हैं अज्ञात
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जुस्तुजू ख़ुदा की थी मिल गया मदीने में अज्ञात
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ज़हे नसीब मदीना मक़ाम हो जाए अज्ञात
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जहाँ सर झुकाया दर-ए-यार पाया अज्ञात
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जहाँ है देख कर शैदा ये मेरे पीर की सूरत अज्ञात
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जहान सब हम ने छान मारा हसीन-ए-यकता तुम्हीं को देखा अज्ञात
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ज़ात-ए-रब्ब-ए-ज़ुल-मेनन ख़्वाजा मुई'नुद्दीं हुसन अज्ञात
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ज़िक्र-ए-इन्नी-अनल्लाह किया हूँ अज्ञात
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ज़िंदा रहता है ज़िंदे में अज्ञात
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जिन रातों में नींद उड़ जाती है क्या क़ह्र की रातें होती हैं अज्ञात
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जिसे 'इश्क़-ए-शाह-ए-उमम हो गया अज्ञात
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जिस तरफ़ से गुलशन-ए-’अदनान गया अज्ञात
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जो कफ़न बाँध के सर से गुज़रे अज्ञात
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तू हसरत की नज़रों पे क़ुर्बान हो जा अज्ञात
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तजल्ली नूर क़दम-ए-ग़ौस आ'ज़म अज्ञात
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तुझ से फ़रियाद है ये गुंबद-ए-ख़ज़्रा वाले अज्ञात
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तुझी को जो याँ जल्वा-फ़रमा न देखा अज्ञात
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तुम जिस को देख लो वो न पहलू में पाए दिल अज्ञात
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तुम पर मैं लाख जान से क़ुर्बान या-रसूल अज्ञात
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तुम सिर्र-ए-'अयाँ मक्की मदनी तुम राज़-ए-निहाँ मक्की मदनी अज्ञात
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तुम्हारे तसव्वुर में दिन-रात रहना ये मेरी 'इबादत नहीं है तो क्या है अज्ञात
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तुम्हारे हुस्न की ये शान मिर्ज़ा अज्ञात
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तुम्हारी दीद में है वो असर या ग़ौस समदानी अज्ञात
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तेरे पनघट पे बादल अपनी गागर भरने आते हैं अज्ञात
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तेरी नज़र से दिल को सुकूँ है क़रार है अज्ञात
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तिरे दर की भीक पर है मिरा आज तक गुज़ारा अज्ञात
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तिरे हुस्न का करिश्मा मिरी हर बहार ख़्वाजा अज्ञात
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तिरा क्या काम अब दिल में ग़म-ए-जानाना आता है अज्ञात
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तिरा दर छोड़ कर जाएँ तो अब जाएँ कहाँ मिर्ज़ा अज्ञात
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तिरी उल्फ़त में मर मिटना शहादत इस को कहते हैं अज्ञात
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तिरी ज़ुल्फ़ों ने बल खाया तो होता अज्ञात
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तिरी निगाह ने हर शै का इंतिख़ाब क्या अज्ञात
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देख पर्दा उठा के ग़फ़लत का अज्ञात
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देना है अगर तुझ को दे अपने खज़ाने से अज्ञात
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दुनिया के चमन में पीर मेरा दीवाना बना कर छोड़ दिया अज्ञात
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दम में जब तक दम रहे अज्ञात
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दिखा के उस ने जमाल अपना क़रार सब मेरा ले लिया है अज्ञात
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दिल में कुछ और मिरे हसरत-ओ-अरमान नहीं तेरी चाहत के सिवा अज्ञात
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दिल हो गया है जब से शैदा अबुल-उ'ला का अज्ञात
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दीद बिन अल्लाह मोहम्मद से मोहब्बत कैसी अज्ञात
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दीन से दूर न मज़हब से अलग बैठा हूँ अज्ञात
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दीवाना बनाना है तो दीवाना बना दे अज्ञात
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न कहीं से दूर हैं मंज़िलें न कोई क़रीब की बात है अज्ञात
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न है बुत-कदा की तलब मुझे न हरम के दर की तलाश है अज्ञात
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नज़रों से पी रहा हूँ मैं मय-ख़ाना जा के क्या करूँ अज्ञात
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नबी आप पर से फ़िदा जान-ओ-माल अज्ञात
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नूरी महफ़िल पे चादर तनी नूर की नूर फैला हुआ आज की रात है अज्ञात
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नसीम-ए-बाग़-ए-मदीना उन को दरूद पढ़ कर सलाम कहना अज्ञात
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नसीम-ए-सुब्ह गुलशन में गुलों से खेलती होगी अज्ञात
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नहीं अब आप की फ़ुर्क़त का यारा या रसूल-अल्लाह अज्ञात
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नहीं ख़ल्क़ ही में ये ग़लग़ला तेरी शान-ए-जल्ला-जलालुहु अज्ञात
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नहीं मुम्किन हर इक के दिल में नक़्श-ए-यार हो पैदा अज्ञात
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नाम अब जिस का ख़्वाजा है अज्ञात
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निकल गए हैं ख़िरद की हदों से दीवाने अज्ञात
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पयाम लाई है बाद-ए-सबा मदीने से अज्ञात
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पर्दा-ए-नूर में हैं यार मदीने वाले अज्ञात
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पेश-ए-हक़ कुछ तिरा नमूना रहे अज्ञात
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पास आते हैं मिरे और न बुलाते हैं मुझे अज्ञात
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फ़क़ीराना आए सदा कर चले अज्ञात
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फ़ैज़-बख़्शी की है क्या शान तिरे कूचा में अज्ञात
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फिर दिल में मिरे आई याद शह-ए-जीलानी अज्ञात
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बे-गाना-ए-इ’रफ़ाँ को हक़ीक़त की ख़बर क्या अज्ञात
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बड़े काम अपना नसीब आ गया है अज्ञात
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ब-तुफ़ैल-ए-दामन-ए-मुर्तज़ा में बताऊँ क्या मुझे क्या मिला अज्ञात
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ब-तुफ़ैल-ए-दामन-ए-मुर्तज़ा मैं बताऊँ क्या मुझे क्या मिला अज्ञात
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बंदे को निगाह-ए-लुत्फ़-ए-मौला बस है अज्ञात
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बला-कशान-ए-ग़म-ए-इंतिज़ार हम भी हैं अज्ञात
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बहुत मुद्दत से थी हसरत नज़्र ख़्वाजा के हो जाऊँ अज्ञात
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भीक दे जाइए अपने दीदार की मरने वाले का अरमाँ निकल जाएगा अज्ञात
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मैं अपने साक़ी का बंदा हूँ और क्या जानूँ अज्ञात
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मैं आई सहेली 'अदम के नगर से अज्ञात
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मैं आईना हूँ शख़्स और 'अक्स तू है अज्ञात
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मैं ख़ुद को ढूँढता हूँ वो हाथ आ रहे हैं अज्ञात
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मैं दंग हूँ अपने में हैरत उसे कहते हैं अज्ञात
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मैं बुरा हूँ या भला हूँ मेरी लाज को निभाना अज्ञात
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मैं वहदत का पर्दा हूँ अल-हम्दु-लिल्लाह अज्ञात
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मैं सुन कर मस्त हूँ नग़्मा किसी का अज्ञात
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मज़हर-ए-ज़ात-ए-ख़ुदा है अपना ख़्वाजा बादशाह अज्ञात
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मुझ को काफ़ी है ये संग-ए-दर-ए-जानाना मिरा अज्ञात
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मुझे मुश्किल है तुझे पास बुलाना जाना अज्ञात
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मन का माला जप रहा हूँ रख के तुम को सामने अज्ञात
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मय-कदे का निज़ाम तुम से है अज्ञात
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मेरा पीर मुझ को ख़रीद कर मुझे क़ैद-ओ-बंद से छुड़ा दिया अज्ञात
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मेरी आँखों का आख़िर दूर ये आज़ार कैसे हो अज्ञात
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मेरी जुस्तुजू का भला हुआ मेरी जुस्तुजू का सिला मिला अज्ञात
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मेरी टिकटिकी सलामत मेरा यार सामने है अज्ञात
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मरीज़-ए-दिल की शिफ़ा ला-इलाहा इल-लल्लाह अज्ञात
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मरीज़-ए-मोहब्बत उन्हीं का फ़साना सुनाता रहा दम निकलते निकलते अज्ञात
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महबूब-ए-ख़ास-ए-हज़रत-ए-सुब्हाँ यही तो है अज्ञात
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मायूस साएल ने जब घर की राह ली अज्ञात
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मिट गया ज़ंग-ए-ख़ुदी दिल की सफ़ाई हो गई अज्ञात
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मिर्ज़ा जी मिर्ज़ाई कर गए अज्ञात
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मिरी ज़िंदगी पे न मुस्कुरा मुझे ज़िंदगी का अलम नहीं अज्ञात
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मोहब्बत की हम चोट खाए हुए हैं अज्ञात
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मोहम्मद ख़ुदा है ख़ुदा है मोहम्मद अज्ञात
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मोहम्मद पे दिल क्या मिरा आ गया अज्ञात
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मोहम्मद मुस्तफ़ा का जा-नशीं सिद्दीक़-ए-अकबर है अज्ञात
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मौत ही न आ जाए काश ऐसे जीने से अज्ञात
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ये एक शक्ल है महशर में मुँह दिखाने की अज्ञात
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ये कहाँ लगी ये कहाँ लगी कि क़फ़स से आज धुआँ उठा अज्ञात
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ये जहाँ भी तू है इस की आख़िरी मंज़िल भी तू अज्ञात
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ये तेरी बंदा-नवाज़ी ये करम है ख़्वाजा अज्ञात
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ये दिल हुज़ूर पे क़ुर्बां नहीं तो कुछ भी नहीं अज्ञात
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ये बारगाह-ए-ख़्वाजा-ए-बंदा-नवाज़ है अज्ञात
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ये मेरे पीर का मुझ पर करम है अज्ञात
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ये राज़ खुला हम पर असरार-ए-ख़िलाफ़त में अज्ञात
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ये है अल्लाह का फ़रमान हर इक को सुना देना अज्ञात
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ये है शराब-ए-'इश्क़ इसे दिल लगा के पी अज्ञात
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यही दर्द-ए-ज़िंदगी है इसी दर्द में मज़ा है अज्ञात
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या मुझे अफ़सर-ए-शाहाना बनाया होता अज्ञात
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या रहमतुल-लिल-'आलमीं अज्ञात
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या सय्यदी या मुस्तफ़ा बहर-ए-ख़ुदा चश्म-ए-करम अज्ञात
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या-मोहम्मद निगाह-ए-करम कीजिए अज्ञात
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यार अग़्यार में नज़र आया अज्ञात
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यार अपनी शक्ल में है हम हैं शक्ल-ए-यार में अज्ञात
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यार की मर्ज़ी के ताबे' यार का दम-भर के देख अज्ञात
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रूप उस के नित-नए और आईना-ख़ाने हज़ार अज्ञात
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रसूल-ए-मुजतबा कहिए मोहम्मद मुस्तफ़ा कहिए अज्ञात
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रहने दो चुप मुझे न सुनो माजरा-ए-दिल अज्ञात
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राज़ ये अपने पे खुलता क्यूँ नहीं अज्ञात
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रोज़-ए-महशर साया-गुस्तर है जो दामान-ए-रसूल अज्ञात
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लेके दिल में मोहब्बत की पाकीज़गी घर से निकले थे दैर-ओ-हरम के लिए अज्ञात
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ला-मकाँ छुप न सका यार तुम्हारा हम से अज्ञात
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लौ मदीने की तजल्ली से लगाए हुए हैं अज्ञात
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वही आबले हैं वही जलन कोई सोज़-ए-दिल में कमी नहीं अज्ञात
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वही जल्वा-नुमा है मैं नहीं हूँ अज्ञात
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वहीं है मोहम्मद जहाँ पर ख़ुदा है अज्ञात
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वो अदा-ए-दिलबरी हो कि नवा-ए-आशिक़ाना अज्ञात
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वो कहते हैं मैं अब तो हो गया हूँ अज्ञात
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वो जब से ख़िर्मन मसर्रतों का जला गए बिजलियाँ गिरा के अज्ञात
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वो रातें याद आती है वो रातें याद आती है अज्ञात
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शक्ल-ए-मुर्शिद को घूर दीवाने अज्ञात
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शौक़ से ना-कामी की बदौलत कूचा-ए-दिल भी छूट गया अज्ञात
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सुख़न को रुत्बा मिला है मिरी ज़बाँ के लिए अज्ञात
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सज्दा मेरा वहाँ अदा न हुआ अज्ञात
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संदल लगाऊँ तुझे ओ मेरे हरियाले बने अज्ञात
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सुन ऐ बाद-ए-सबा तू जानिब-ए-तैबा अगर गुज़रे अज्ञात
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सुन ऐ री सखी चल राज़ गली यसरिब का बसय्या आया है अज्ञात
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सुने कौन क़िस्सा-ए-दर्द-ए-दिल मेरा ग़म-गुसार चला गया अज्ञात
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सनम के जिस्म में आ कर नफ़्स का तार कहते हैं अज्ञात
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सब कुछ है दफ़्न मुझ में वो ज़िंदा मज़ार हूँ अज्ञात
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सँभल ऐ दिल किसी का राज़ बे-पर्दा न हो जाए अज्ञात
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सम्त काशी से चला जानिब-ए-मथुरा बादल अज्ञात
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सरताज-ए-रुसुल मक्की मदनी सरकार-ए-दो-आ’लम सल्ले-अ'ला अज्ञात
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सरापा नक़्शा-ए-दिलदार हूँ मैं अज्ञात
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सरापा है ये अल्लाह का ज़रा देखो मोहम्मद को अज्ञात
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सलाम उस पर कि जिस ने बे-कसों की दस्त-गीरी की अज्ञात
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सलाम-ए-'इश्क़ तुझे ऐ बहार-ए-ग़म बीनी अज्ञात
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सहर का वक़्त है मा'सूम कलियाँ मुस्कुराती हैं अज्ञात
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सहारा बे-सहारों का हिमायत मुर्तज़ा की है अज्ञात
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साए में तुम्हारे दामन के जिस दिन से गुज़ारा करते हैं अज्ञात
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साथ ख़्वाजा भी हैं ग़ौस-ए-आ'ज़म भी हैं अज्ञात
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है जुमला जहाँ परतव-ए-अनवार-ए-मोहम्मद अज्ञात
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है ये सब आप का एहसान रसूल-ए-'अरबी अज्ञात
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है हासिल-ए-हयात मोहब्बत रसूल की अज्ञात
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हक़-अदा-ओ-हक़-नुमा बग़दाद की सरकार है अज्ञात
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हुज़ूर-ए-वारिस-ए-आली-मक़ाम की चादर अज्ञात
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हैदर का पूत आया ज़हरा का जाया आया अज्ञात
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हम अपने सिवा ग़ैर को सज्दा नहीं करते अज्ञात
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हम इस कूचे में जब तक जान है आएँगे जाएँगे अज्ञात
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हम को मुबारक आक़ा हमारा नूर-ए-मुजस्सम हक़ का प्यारा अज्ञात
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हम ने सौ आफ़तें मोल ली जान-ए-जाँ इक तुम्हारी ही राज़ी ख़ुशी के लिए अज्ञात
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हम लोटते हैं वो सो रहे हैं अज्ञात
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हर इक मुश्किल में काम आई दुहाई मेरे मौला की अज्ञात
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हरे झंडे के शहज़ादे जी मेरे पीर दस्तगीर अज्ञात
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हरम और दैर के कतबे वो देखे जिस को फ़ुर्सत है अज्ञात
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हल्क़े में रसूलों के वो माह-ए-मदनी है अज्ञात
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
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क्या जाने क्या अरमाँ ले कर हम तेरी गली में आ निकले अज्ञात
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कितना दिल-सोज़ वो मंज़र वो नज़ारा होगा अज्ञात
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किसी दर्दमंद के काम आ किसी डूबते को उछाल दे अज्ञात
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जब हुए पैदा मोहम्मद मुस्तफ़ा गोद में ले कर हलीमा ने कहा अज्ञात
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तू ने बुत-ए-हरजाई कुछ ऐसी अदा पाई अज्ञात
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तेरे करम से मेरी सलामत है ज़िंदगी अज्ञात
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देख लो शक्ल मेरी किस का आईना हूँ मैं अज्ञात
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दिल में जिगर में आँख में बस तू ही तू रहे अज्ञात
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मैं बंदा-ए-'आसी हूँ ख़ता-कार हूँ मौला अज्ञात
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मुझे ग़म-ज़दा देख कर वो ये बोले अज्ञात
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मुझ में हर रंग अब तुम्हारा है अज्ञात
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मुस्तफ़ा मुजतबा की आमद है अज्ञात
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मोरे अंगना मु'ईनुद्दीन आयो रे अज्ञात
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ये वली वो ख़ुदा का संदल है अज्ञात
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शाह-ए-मदीना मेरी बिगड़ी बना दो शाह-ए-मदीना मेरी बिगड़ी बना दो अज्ञात
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हाजी महबूब अ'ली
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हाजी महबूब अ'ली
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हाजी महबूब अ'ली
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हाजी महबूब अ'ली
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हाजी महबूब अ'ली
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हाजी महबूब अ'ली
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हाजी महबूब अ'ली
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कल्लन ख़ाँ
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कल्लन ख़ाँ
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कल्लन ख़ाँ
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कल्लन ख़ाँ
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कल्लन ख़ाँ
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कल्लन ख़ाँ
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अपनी तजल्लियों में वो ऐसे निहाँ रहे हाजी महबूब अ'ली
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अरे लोगो तुम्हारा क्या मैं जानूँ मेरा ख़ुदा जाने आबिदा परवीन
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अ'र्श-ए-आ'ज़म का दूल्हा बड़ी चीज़ है नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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अल्लाह हू अल्लाह हू अल्लाह हू नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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'अली 'अली कह आबिदा परवीन
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'अली इमाम-ए-मनस्त-ओ-मनम ग़ुलाम-ए-'अली नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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आ गया यूँ मेरे होंटों पे तेरा नाम कि बस आबिदा परवीन
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आज की बात फिर नहीं होगी नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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आज हम ने यूँ ही ख़ुशी कर ली नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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आप बैठे हैं बालीं पे मेरी मौत का ज़ोर चलता नहीं है नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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इतना शदीद ग़म है कि एहसास-ए-ग़म नहीं नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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ईद-गाह-ए-मा ग़रीबाँ कू-ए-तू नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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उन का ही तसव्वुर है महफ़िल हो या तन्हाई मोहम्मद अज़ीज़ ख़ान क़व्वाल
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कृपा करो महाराज मु’ईनउद्दीन नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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क्यूँ हो वो जा के मय-कदे में ख़राब नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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क्या ख़्वाब था वो जिस की ता'बीर नज़र आई आबिदा परवीन
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कोई अजनबी-सा दयार था यही वक़्त होगा पहल गए आबिदा परवीन
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ख़ुश्बू का कोई झोंका हो तो साँसों से ज़ंजीर करूँ आबिदा परवीन
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ख़ुश्बू शबनम रंग सितारे करते हैं दीवाना-सा आबिदा परवीन
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ख़ालिक़ ने मुझ को ग़ौस का शैदा बना दिया मह्बूब बंदा नवाज़ी
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गंज-ए-शकर मोरी रंग दो चुनरिया नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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चैन तुम से क़रार तुम से है फरीद अयाज़
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ज़रा सी बात पे वो जग-हँसाइयाँ दे कर आबिदा परवीन
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ज़ुल्फ़ रुख़ से हटा के बात करो नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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जहाँ में नूर बिखरा है मेरे मुर्शिद क़लंदर का आबिदा परवीन
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जहाँ में हर कहीं हर सू नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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जिस की जानिब वो नज़र अपनी उठा देते हैं नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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जिस दिन से मेरे यार ने जल्वा दिखा दिया मोहम्मद अज़ीज़ ख़ान क़व्वाल
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तकलीफ़-ए-हिज्र दे गई राहत कभी-कभी आबिदा परवीन
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तुझ को आता है हर इक दुख का मुदावा करना नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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तुम अगर यूँही नज़रें मिलाते रहे मय-कशी मेरे घर से कहाँ जाएगी नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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तुम को देखे हुए गुज़रे हैं ज़माने आओ आबिदा परवीन
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तुम्हारे ही होने से आबाद है दिल नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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तेरे 'इश्क़ में डालूँ धमाल आबिदा परवीन
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तिरे करम का सहारा है ज़िंदगी मेरी नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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तो दिल में फूल खिल जाए आबिदा परवीन
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तोरे द्वारे पड़े जग बीत गए हाजी महबूब अ'ली
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दम मस्त क़लंदर मस्त-मस्त नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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दम-दम करो फ़रीद फ़रीद ऑखो हक़ फ़रीद नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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दमा-दम मस्त क़लंदर नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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दर-ए-पंजतन का नज़ारा क़लंदर आबिदा परवीन
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दस्तार है हुसैन के सर में रसूल की नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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दिया होता किसी को दिल तो होती क़द्र भी दिल की हाजी महबूब अ'ली
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दिल में अगर तड़प न हो 'आशिक़ी 'आशिक़ी नहीं नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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नूर-ए-अज़ल नूर-ए-ख़ुदा आबिदा परवीन
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नूर-ए-इलाही नूर-ए-इलाही आबिदा परवीन
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नाद-ए-'अली पढ़ नाद-ए-'अली पढ़ आबिदा परवीन
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पुकारो नाम बाबा का पुकारो नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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फ़रियाद करूँ तेरे दर पे मौला आबिदा परवीन
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फ़स्ल-ए-गुल है शराब पी लीजिए नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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फ़स्ल-ए-गुल है सजा है मय-ख़ाना नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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बख़्शिश कहाँ है साहिब-ए-क़ुरआँ तिरे बग़ैर हाजी महबूब अ'ली
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बनाई मुझ बे-नवा की बिगड़ी नसीब मेरा जगा दिया नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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बलग़-अल-उ'ला बि-कमालिही आबिदा परवीन
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मुझ को तेरी क़सम तुझ सा कोई नहीं नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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मुझे दीवाना मत समझो किसी की ख़ाक-ए-पा हूँ मैं नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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मुझ में अब रंग सब तुम्हारा है आबिदा परवीन
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मन कुंतो मौला फ़-हाज़ा 'अली-मौला आबिदा परवीन
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मेरे मुश्किल-कुशा या 'अली या 'अली आबिदा परवीन
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मेरे साबिर तेरी चौखट की क़सम खाता हूँ नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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मेरा ढोल माही मेरे मन का राजा नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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मेरी आँखों को बख़्शे हैं आँसू दिल को दाग़-ए-अलम दे गए हैं नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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मेरी तौबा मेरी तौबा नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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मेरी मैली गुदड़िया धो दे गंज-ए-शकर के लाल मेराज अहमद निज़ामी
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मेरी हाज़िरी करें क़ुबूल आबिदा परवीन
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मोरे ख़्वाजा तुम ही को मोरी लाज नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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मौला-ए-कुल मौला-ए-कुल आबिदा परवीन
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ये मिरे हद्द-ए-नज़र की दीदनी तासीर है कल्लन ख़ाँ
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या अय्युहल-मुज़म्मिलू ऐ मुर्सल-ए-पाकीज़ा ख़ूँ नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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रख लो मोरी लाज साबिर नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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रात की तीरगी से न मायूस हो रौशनी का सितारा नज़र आएगा नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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ला'ल शहबाज़ शाह की चादर सिंध के शहंशाह की चादर है आबिदा परवीन
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शैख़-जी बैठ कर मय-कशों में तर्क-ए-मय का इरादा न करना नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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शब-ए-फ़िराक़ की यारो कोई सहर भी है आबिदा परवीन
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सुन रे मोरे प्यारे सजना नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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सना बशर के लिए है बशर सना के लिए हाजी महबूब अ'ली
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सब पे करम फ़रमाएँगे बाबा आज बिगड़ी बनाएँगे नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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सबा मदीने में मुस्तफ़ा से हम बे-कसों का सलाम कहना
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सर जिस पे न झुक जाए उसे दर नहीं कहते नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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सरकार ग़ौस-ए-आ'ज़म नज़र-ए-करम ख़ुदा-रा हाजी महबूब अ'ली
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साक़िया किस धूम से जारी है मय-ख़ाना तिरा बख्शी सलामत
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सामने जब भी यार होता है नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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है 'इबादत मिरी ना'त-ए-ख़ैरुल-वरा मुझ को दुनिया की पर्वा नहीं है नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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हज़ारों तमन्नाएँ होती हैं दिल में नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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हम ने दर-पर्दा तुझे माह-जबीं देख लिया फरीद अयाज़
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हर दम ख़याल-ए-जानाँ आँखों के रू-ब-रू है हाजी महबूब अ'ली
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हर-सू 'अली 'अली है हर-जा 'अली 'अली है आबिदा परवीन
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हैरान हुआ हैरान हुआ आबिदा परवीन
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हश्र में कुछ मिले न मिले या नबी नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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हस्ती पे निखार आ जाता है जिस वक़्त वो सामने होते हैं नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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हुस्न वाले वफ़ा नहीं करते नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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हुस्न वाले वफ़ा नहीं करते नुसरत फ़तेह अली ख़ान