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अपनी निगाह-ए-शौक़ को रोका करेंगे हम अज्ञात
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अब तंगी-ए-दामाँ पे न जा और भी कुछ माँग अज्ञात
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आँख लड़ने का बहाना हो गया अज्ञात
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आज उनके दामन पर अश्क मेरे ढलते हैं अज्ञात
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इक क़ियामत बन गई है आश्नाई आप की अज्ञात
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'इनायत की नज़र हो जाए मुझ आफ़त के मारे पर अज्ञात
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इ'श्क़ की हद से निकलते फिर ये मंज़र देखते अज्ञात
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उनका हो कर ख़ुद उन्हें अपना बना सकता हूँ मैं अज्ञात
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उस ने भरी महफ़िल को दीवानः बना डाला अज्ञात
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ऐ फ़ित्ना-ए-हर-महफ़िल ऐ महशर-ए-तन्हाई अज्ञात
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ऐ शो’ला-ए-जवाला जब से लौ तुझ से लगाए बैठे हैं अज्ञात
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कभी उन का नाम लेना कभी उन की बात करना अज्ञात
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करें हम किस की पूजा और चढ़ाएँ किस को चंदन हम अज्ञात
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कलाम-ए-ख़ुदा है कलाम-ए-मोहम्मद अज्ञात
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कस्मपुर्सी में ग़रीबों के सहारे ख़्वाजा अज्ञात
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किस क़दर महव-ए-तमाशा हो गया अज्ञात
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किस चीज़ की कमी है मौला तिरी गली में अज्ञात
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किसी को हिज्र तड़पाए तुम्हें क्या अज्ञात
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कोई मज़ा मज़ा नहीं कोई ख़ुशी ख़ुशी नहीं अज्ञात
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ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगाँ की चादर है अज्ञात
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ग़म-ए-इ'श्क़ में आह-ओ-फ़रियाद कैसी हर इक नाज़ उनका उठाना पड़ेगा अज्ञात
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ज़ुल्म हम पर हर-आन होते हैं अज्ञात
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जहान सब हम ने छान मारा हसीन-ए-यकता तुम्हीं को देखा अज्ञात
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जिन रातों में नींद उड़ जाती है क्या क़ह्र की रातें होती हैं अज्ञात
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जिस तरफ़ से गुलशन-ए-’अदनान गया अज्ञात
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जो कफ़न बाँध के सर से गुज़रे अज्ञात
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तजल्ली नूर क़दम-ए-ग़ौस आ'ज़म अज्ञात
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तुझी को जो याँ जल्वा-फ़रमा न देखा अज्ञात
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तुम जिस को देख लो वो न पहलू में पाए दिल अज्ञात
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तुम्हारी दीद में है वो असर या ग़ौस समदानी अज्ञात
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तेरी नज़र से दिल को सुकूँ है क़रार है अज्ञात
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तिरे हुस्न का करिश्मा मिरी हर बहार ख़्वाजा अज्ञात
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तिरी उल्फ़त में मर मिटना शहादत इस को कहते हैं अज्ञात
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दिल में कुछ और मिरे हसरत-ओ-अरमान नहीं तेरी चाहत के सिवा अज्ञात
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दिल हो गया है जब से शैदा अबुल-उ'ला का अज्ञात
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दीन से दूर न मज़हब से अलग बैठा हूँ अज्ञात
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न है बुत-कदा की तलब मुझे न हरम के दर की तलाश है अज्ञात
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नूरी महफ़िल पे चादर तनी नूर की नूर फैला हुआ आज की रात है अज्ञात
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निकल गए हैं ख़िरद की हदों से दीवाने अज्ञात
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बे-गाना-ए-इ’रफ़ाँ को हक़ीक़त की ख़बर क्या अज्ञात
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ब-तुफ़ैल-ए-दामन-ए-मुर्तज़ा में बताऊँ क्या मुझे क्या मिला अज्ञात
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ब-तुफ़ैल-ए-दामन-ए-मुर्तज़ा मैं बताऊँ क्या मुझे क्या मिला अज्ञात
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मैं आईना हूँ शख़्स और 'अक्स तू है अज्ञात
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मैं ख़ुद को ढूँढता हूँ वो हाथ आ रहे हैं अज्ञात
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मैं दंग हूँ अपने में हैरत उसे कहते हैं अज्ञात
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मैं बुरा हूँ या भला हूँ मेरी लाज को निभाना अज्ञात
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मय-कदे का निज़ाम तुम से है अज्ञात
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मायूस साएल ने जब घर की राह ली अज्ञात
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मोहब्बत की हम चोट खाए हुए हैं अज्ञात
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ये जहाँ भी तू है इस की आख़िरी मंज़िल भी तू अज्ञात
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यार अग़्यार में नज़र आया अज्ञात
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यार अपनी शक्ल में है हम हैं शक्ल-ए-यार में अज्ञात
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यार की मर्ज़ी के ताबे' यार का दम-भर के देख अज्ञात
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रहने दो चुप मुझे न सुनो माजरा-ए-दिल अज्ञात
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लेके दिल में मोहब्बत की पाकीज़गी घर से निकले थे दैर-ओ-हरम के लिए अज्ञात
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ला-मकाँ छुप न सका यार तुम्हारा हम से अज्ञात
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लौ मदीने की तजल्ली से लगाए हुए हैं अज्ञात
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वही आबले हैं वही जलन कोई सोज़-ए-दिल में कमी नहीं अज्ञात
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वो अदा-ए-दिलबरी हो कि नवा-ए-आशिक़ाना अज्ञात
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वो जब से ख़िर्मन मसर्रतों का जला गए बिजलियाँ गिरा के अज्ञात
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शौक़ से ना-कामी की बदौलत कूचा-ए-दिल भी छूट गया अज्ञात
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सुने कौन क़िस्सा-ए-दर्द-ए-दिल मेरा ग़म-गुसार चला गया अज्ञात
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सरताज-ए-रुसुल मक्की मदनी सरकार-ए-दो-आ’लम सल्ले-अ'ला अज्ञात
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सलाम-ए-'इश्क़ तुझे ऐ बहार-ए-ग़म बीनी अज्ञात
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साए में तुम्हारे दामन के जिस दिन से गुज़ारा करते हैं अज्ञात
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हम ने सौ आफ़तें मोल ली जान-ए-जाँ इक तुम्हारी ही राज़ी ख़ुशी के लिए अज्ञात
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हर इक मुश्किल में काम आई दुहाई मेरे मौला की अज्ञात
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
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अज्ञात
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अज्ञात
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अज्ञात
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अज्ञात
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अज्ञात
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अज्ञात
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अज्ञात
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अज्ञात
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क्या जाने क्या अरमाँ ले कर हम तेरी गली में आ निकले अज्ञात
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कितना दिल-सोज़ वो मंज़र वो नज़ारा होगा अज्ञात
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किसी दर्दमंद के काम आ किसी डूबते को उछाल दे अज्ञात
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देख लो शक्ल मेरी किस का आईना हूँ मैं अज्ञात
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दिल में जिगर में आँख में बस तू ही तू रहे अज्ञात
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मुझे ग़म-ज़दा देख कर वो ये बोले अज्ञात
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मुझ में हर रंग अब तुम्हारा है अज्ञात
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नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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कल्लन ख़ाँ
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सुबहान अहमद निज़ामी
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नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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अ'ज़ीज़ मियां
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अरे लोगो तुम्हारा क्या मैं जानूँ मेरा ख़ुदा जाने आबिदा परवीन
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अ'र्श-ए-आ'ज़म का दूल्हा बड़ी चीज़ है नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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अल्लाह हू अल्लाह हू अल्लाह हू नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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'अली 'अली कह आबिदा परवीन
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'अली इमाम-ए-मनस्त-ओ-मनम ग़ुलाम-ए-'अली नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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आ गया यूँ मेरे होंटों पे तेरा नाम कि बस आबिदा परवीन
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आज की बात फिर नहीं होगी नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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आज हम ने यूँ ही ख़ुशी कर ली नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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आप बैठे हैं बालीं पे मेरी मौत का ज़ोर चलता नहीं है नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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इतना शदीद ग़म है कि एहसास-ए-ग़म नहीं नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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ईद-गाह-ए-मा ग़रीबाँ कू-ए-तू नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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कृपा करो महाराज मु’ईनउद्दीन नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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क्यूँ हो वो जा के मय-कदे में ख़राब नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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क्या ख़्वाब था वो जिस की ता'बीर नज़र आई आबिदा परवीन
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काली काली ज़ुल्फ़ों के फंदे न डालो नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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कोई अजनबी-सा दयार था यही वक़्त होगा पहल गए आबिदा परवीन
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ख़ुश्बू का कोई झोंका हो तो साँसों से ज़ंजीर करूँ आबिदा परवीन
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ख़ुश्बू शबनम रंग सितारे करते हैं दीवाना-सा आबिदा परवीन
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गंज-ए-शकर मोरी रंग दो चुनरिया नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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चैन तुम से क़रार तुम से है फरीद अयाज़
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ज़रा सी बात पे वो जग-हँसाइयाँ दे कर आबिदा परवीन
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ज़ुल्फ़ रुख़ से हटा के बात करो नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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जहाँ में नूर बिखरा है मेरे मुर्शिद क़लंदर का आबिदा परवीन
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जहाँ में हर कहीं हर सू नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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जिस की जानिब वो नज़र अपनी उठा देते हैं नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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तकलीफ़-ए-हिज्र दे गई राहत कभी-कभी आबिदा परवीन
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तुझ को आता है हर इक दुख का मुदावा करना नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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तुम अगर यूँही नज़रें मिलाते रहे मय-कशी मेरे घर से कहाँ जाएगी नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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तुम को देखे हुए गुज़रे हैं ज़माने आओ आबिदा परवीन
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तुम्हारे ही होने से आबाद है दिल नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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तेरे 'इश्क़ में डालूँ धमाल आबिदा परवीन
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तिरे करम का सहारा है ज़िंदगी मेरी नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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तो दिल में फूल खिल जाए आबिदा परवीन
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दम मस्त क़लंदर मस्त-मस्त नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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दम-दम करो फ़रीद फ़रीद ऑखो हक़ फ़रीद नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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दमा-दम मस्त क़लंदर नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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दर-ए-पंजतन का नज़ारा क़लंदर आबिदा परवीन
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दस्तार है हुसैन के सर में रसूल की नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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दिल में अगर तड़प न हो 'आशिक़ी 'आशिक़ी नहीं नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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नूर-ए-अज़ल नूर-ए-ख़ुदा आबिदा परवीन
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नूर-ए-इलाही नूर-ए-इलाही आबिदा परवीन
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नाद-ए-'अली पढ़ नाद-ए-'अली पढ़ आबिदा परवीन
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पुकारो नाम बाबा का पुकारो नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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फ़रियाद करूँ तेरे दर पे मौला आबिदा परवीन
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फ़स्ल-ए-गुल है शराब पी लीजिए नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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फ़स्ल-ए-गुल है सजा है मय-ख़ाना नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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बनाई मुझ बे-नवा की बिगड़ी नसीब मेरा जगा दिया नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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बनायी मुझ बेनवा की बिगड़ी नसीब मेरा जगा दिया नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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बलग़-अल-उ'ला बि-कमालिही आबिदा परवीन
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मुझ को तेरी क़सम तुझ सा कोई नहीं नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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मुझे दीवाना मत समझो किसी की ख़ाक-ए-पा हूँ मैं नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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मुझ में अब रंग सब तुम्हारा है आबिदा परवीन
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मन कुंतो मौला फ़-हाज़ा 'अली-मौला आबिदा परवीन
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मेरे मुश्किल-कुशा या 'अली या 'अली आबिदा परवीन
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मेरे साबिर तेरी चौखट की क़सम खाता हूँ नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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मेरा ढोल माही मेरे मन का राजा नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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मेरी आँखों को बख़्शे हैं आँसू दिल को दाग़-ए-अलम दे गए हैं नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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मेरी तौबा मेरी तौबा नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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मेरी मैली गुदड़िया धो दे गंज-ए-शकर के लाल मेराज अहमद निज़ामी
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मेरी हाज़िरी करें क़ुबूल आबिदा परवीन
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मोरे ख़्वाजा तुम ही को मोरी लाज नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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मौला-ए-कुल मौला-ए-कुल आबिदा परवीन
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या अय्युहल-मुज़म्मिलू ऐ मुर्सल-ए-पाकीज़ा ख़ूँ नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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या मुस्तफ़ा नूर-उल-हुदा सानी तिरा कोई नहीं नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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रख लो मोरी लाज साबिर नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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रात की तीरगी से न मायूस हो रौशनी का सितारा नज़र आएगा नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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ला'ल शहबाज़ शाह की चादर सिंध के शहंशाह की चादर है आबिदा परवीन
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शैख़-जी बैठ कर मय-कशों में तर्क-ए-मय का इरादा न करना नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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शब-ए-फ़िराक़ की यारो कोई सहर भी है आबिदा परवीन
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शम्सुज़्ज़हा बदरुद्दुजा तेरी बड़ी तौक़ीर है नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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सुन रे मोरे प्यारे सजना नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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सब पे करम फ़रमाएँगे बाबा आज बिगड़ी बनाएँगे नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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सर जिस पे न झुक जाए उसे दर नहीं कहते नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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साक़िया किस धूम से जारी है मय-ख़ाना तिरा बख्शी सलामत
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साक़ी-ए-बा-वफ़ा मनम दम हमा-दम 'अली 'अली आबिदा परवीन
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सामने जब भी यार होता है नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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है 'इबादत मिरी ना'त-ए-ख़ैरुल-वरा मुझ को दुनिया की पर्वा नहीं है नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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हज़ारों तमन्नाएँ होती हैं दिल में नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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हम ने दर-पर्दा तुझे माह-जबीं देख लिया फरीद अयाज़
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हर-सू 'अली 'अली है हर-जा 'अली 'अली है आबिदा परवीन
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हैरान हुआ हैरान हुआ आबिदा परवीन
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हश्र में कुछ मिले न मिले या नबी नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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हस्ती पे निखार आ जाता है जिस वक़्त वो सामने होते हैं नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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हुस्न वाले वफ़ा नहीं करते नुसरत फ़तेह अली ख़ान
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हुस्न वाले वफ़ा नहीं करते नुसरत फ़तेह अली ख़ान