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ज़हीन शाह ताजी

1902 - 1978 | कराची, पाकिस्तान

मा’रूफ़ शाइ’र, अदीब, मुसन्निफ़ और सूफ़ी

मा’रूफ़ शाइ’र, अदीब, मुसन्निफ़ और सूफ़ी

ज़हीन शाह ताजी

ग़ज़ल 47

शे'र 8

कलाम 29

रूबाई 1

 

ना'त-ओ-मनक़बत 28

वीडियो 40

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शुभा मुदगल

आबिदा परवीन

आबिदा परवीन

शुभा मुदगल

आबिदा परवीन

आग़ाज़ अच्छा अंजाम अच्छा

अक़ील और शकील वारसी

कहूँ दोस्त से दोस्त की बात क्या क्या

आबिदा परवीन

जी चाहे तू शीशा बन जा जी चाहे पैमाना बन जा

आबिदा परवीन

जो बहार आई मिरे गुलशन-ए-जाँ से आई

हबीब अहमद नियाज़ी

तू ने दीवाना बनाया तो मैं दीवाना बना

आबिदा परवीन

तुम जिस दर्द के दरमाँ हो उस दर्द की क़िस्मत क्या कहना

आबिदा परवीन

तुम मेरा दीं मेरी दुनिया या हज़रत बाबा ताजुद्दीन

ग़ौस मुहम्मद नासिर

ता'बीर-ए-शब-ए-ग़ैब शबिस्तान-ए-मोहम्मद

अब्दुल्लाह मंज़ूर नियाज़ी

दो-जहाँ जल्वा-ए-जानाँ के सिवा कुछ भी नहीं

अ'ली रज़ा क़ादरी

मैं होश में हूँ तो तेरा हूँ दीवाना हूँ तो तेरा हूँ

आबिदा परवीन

यहाँ पीर-ए-मय-ख़ाना हज़रत हमीं हैं

ज़मान ज़की ताजी

वारिस-ए-सय्यदुल-अनाम हुसैन

हसनैन करिमैन बज़्म-ए-नात

सरापा हुस्न भी तुम हो सरापा इ'श्क़ भी तुम हो

आबिदा परवीन

साए में तुम्हारे हैं क़िस्मत ये हमारी है

मुहम्मद रऊफ़ मा'सूमी

अल्लाह अल्लाह अ'ज़्मत-ए-सरकार-ए-ताज-उल-औलिया

मुहम्मद आसिफ़ ताजी

कसरत-ए-हुस्न में भी आ'लम-ए-तन्हाई है

कप्तान रिज़वान

ग़फ़लत न थी तसव्वुर-ए-दीदार-ए-यार था

सुभा मुद्गल

जब मैं न देखता हूँ तो देखा करूँ तुझे

फरीद अयाज़

जी चाहे तू शीशा बन जा जी चाहे पैमाना बन जा

कविता सेथ

जो जल्वा-गाह-ए-यार है वो दिल यही तो है

जो जल्वा-गाह-ए-यार है वो दिल यही तो है

अ'ली रज़ा क़ादरी

जो जल्वा-गाह-ए-यार है वो दिल यही तो है

ज़कि ज़मान ताजी

तू ने दीवाना बनाया तो मैं दीवाना बना

फरीद अयाज़

तू ने दीवाना बनाया तो मैं दीवाना बना

फरीद अयाज़

तू ने दीवाना बनाया तो मैं दीवाना बना

नादिया अम्बर लूधी

तू ने दीवाना बनाया तो मैं दीवाना बना

शाहिद अहमद

तेरे दर के फ़क़ीर हैं हम लोग

हमज़ा अकरम

तेरे दर के फ़क़ीर हैं हम लोग

ज़कि ज़मान ताजी

तेरे दर के फ़क़ीर हैं हम लोग

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बस उन की ख़ुशी जानना चाहता हूँ

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ज़कि ज़मान ताजी

सरापा हुस्न भी तुम हो सरापा इ'श्क़ भी तुम हो

ज़कि ज़मान ताजी

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