रय्यान अबुलउलाई के सूफ़ी लेख
पीर नसीरुद्दीन ‘नसीर’ महद से लहद तक
हज़रत पीर नसीरुद्दीन ‘नसीर’ मशहूर शाइर, अदीब, रिसर्चदाँ, ख़तीब, आलिम और गोलड़ा शरीफ़ की दरगाह के सज्जादा-नशीन थे। वो उर्दू, फ़ारसी, पंजाबी के साथ-साथ अरबी, हिन्दी, पूरबी और सरायकी ज़बानों में भी शाइरी करते थे, इसीलिए उन्हें “सात ज़बानों वाला शाइर” के
बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी : मख़दूम मुनएम पाक
पटना हर ज़माने में सूफ़ियों और संतों का बड़ा केंद्र रहा है। यहाँ बड़े-बड़े सूफ़ियों की दरगाहें और ख़ानक़ाहें हैं। केवल हिन्दुस्तान ही नहीं बल्कि हिन्दुस्तान के बाहर से भी लोग इन सूफ़ियों की ख़ानक़ाहों में अ’क़ीदतों का सलाम पेश करने आते हैं और मुहब्बतों
लखनऊ का सफ़रनामा
लखनऊ के बारे में बृज नारायण चकबस्त ने बहुत पहले कहा था : ज़बान-ए-हाल से ये लखनऊ की ख़ाक कहती है मिटाया गर्दिश-ए-अफ़्लाक ने जाह-ओ-हशम मेरा दिल्ली के बा’द हिन्दुस्तान का उजड़ने वाला ये दूसरा शहर है। ब-क़ौल मिर्ज़ा हादी रुसवा: दिल्ली छुटी थी पहले
बिहार में क़व्वालों का इतिहास
क़व्वाली शब्द अरबी भाषा के शब्द ‘क़ौल’ से लिया गया है। क़ौल पढ़ने वाले व्यक्ति को क़व्वाल कहा जाता है। क़ौल का आम मतलब ‘क़ौल-ए-पैग़म्बर’ (हज़रत मोहम्मद पाक का कहा हुआ कथन) है, जिसे आपने हज़रत मौला अली के बारे में कहा था। क़व्वाली की शुरुआत हज़रत अमीर
ज़िक्र-ए-ख़ैर ख़्वाजा रुकनुद्दीन इश्क़
ख़्वाजा रुकनुद्दीन इश्क़ एक महान सूफ़ी शा’इर हुए हैं। अगर उनकी ज़िंदगी और शाइरी पर नज़र डालें, तो अंदाज़ा हो जाता है कि उनकी शा’इरी में वो सब चीज़ें मौजूद है, जो एक सच्चे सूफ़ी में पाई जाती हैं। उनकी ख़ानक़ाह बिहार में ‘बारगाह-ए-इश्क़’ के नाम से मशहूर है। यहाँ
ख़्वाजा साहब पर क्या कहती हैं पुरानी किताबें?
हिन्दोस्तान में सिलसिला-ए-तसव्वुफ़ का चराग़ कई सदियों से रौशन है। इसकी अज़्मत के तज़्किरे भरे पड़े हैं। जहाँ एक तरफ़ इस की अज़्मत की मीनार बुलंद हैं, वहीं दूसरी तरफ़ ऐसे क़िस्से और करामात भी मशहूर हैं, जिनका हक़ीक़त से दूर-दूर तक वासता नहीं है। सच्चे
ذکر خیر حضرت شاہ واعظ الدین حسین ابوالعلائی داناپوری
آپ حضرت شاہ نظیرحسن ابوالعلائی داناپوری کے خلف اکبر تھے، پیدائش یکم شوال المکرم 1290ھ روز شنبہ یک شنبہ شب میں ہوئی،آپ اپنے والد کے صورتاً اور سیرتاًجانشین تھے،کم عمری ہی سے صوفیانہ مزاج کے حامل تھے،آپ نے علوم ظاہر کی تکمیل اپنے والد اور مولانا سلطان