राक़िम देहलवी के अशआर
अगर हम तुम सलामत हैं कभी खुल जाएगी क़िस्मत
इसी दौर-ए-लयाली में इसी गर्दूं के चक्कर में
-
टैग : क़िस्मत
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
बयान-ए-दर्द-आगीं है कहेगा जा के क्या क़ासिद
हदीस-ए-आरज़ू मेरी परेशाँ दास्ताँ मेरी
-
टैग : क़ासिद
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
बद-गुमानी है मिरी वो ग़ैर पर है मेहरबाँ
ऐसा काफ़िर दिल किसी पर मेहरबाँ होता नहीं
-
टैग : ग़ैर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
तुम्हारे घर से हम निकले ख़ुदा के घर से तुम निकले
तुम्हीं ईमान से कह दो कि काफ़िर हम हैं या तुम हो
-
टैग : घर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जहाँ में ख़ाना-ज़ाद-ए-ज़ुल्फ़ को क्या छोड़ देते हैं
कि तुम ने छोड़ रखा मुझ असीर-ए-ज़ुल्फ़-ए-पेचाँ को
-
टैग : असीर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
ग़ज़ब है अदा चशम-ए-जादू-असर में
कि दिल पिस गया बस नज़र ही नज़र में
-
टैग : अदा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
कुछ उफ़ुक़ है नूर-आगीं कुछ शफ़क़ है लाल लाल
ज़र्रा ज़र्रा आईना है हुस्न-रू-ए-ख़ाक का
-
टैग : आईना
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
मेरे सीना पर तुम बैठो गला तलवार से काटो
ख़त-ए-तक़्दीर मैं समझूँ ख़त-ए-शमशीर-ए-बुर्राँ को
-
टैग : ख़त
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
यहाँ इग़्माज़ तुम कर लो वहाँ देखेंगे महशर में
छुड़ाना ग़ैर से दामन को और मुझ से गरेबाँ को
-
टैग : ग़ैर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
उम्मीदें अपनी सब क़ायम रहेंगी
अगर वो हैं ख़ुदाई में ख़ुदा की
-
टैग : ख़ुदा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
सच तो ये है कि आप ही का ग़म
अब सहारा है ज़िंदगी के लिए
-
टैग : ग़म
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
ग़ैर के घर में भी 'राक़िम' आज तुम होते चलो
एक छछूंदर छोड़ कर कुछ गुल खिलाते जाइए
-
टैग : घर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
ग़ैर के सौ नाज़ तुम पर और मुझ पर आप के
आप दबते जाइए मुझ को दबाते जाइए
-
टैग : ग़ैर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
मिरे क़त्ल को आए इस सादगी से
छुरी हाथ में है न ख़ंजर कमर में
-
टैग : कमर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
भुलाया ग़म-ए-दिल ने शौक़-ए-तमाशा
कि अब आँखें खुलती है दो दोपहर में
-
टैग : ग़म
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
वक़ार-ए-इल्तिजा भी हम ने खोया
अ’बस जा जा के उन से इल्तिजा की
-
टैग : इल्तिजा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
गवारा किस को हो साक़ी ये बू-ए-ग़ैर सहबा के
किसी ने पी है साग़र में जो बू है ग़ैर-ए-साग़र में
-
टैग : ग़ैर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
न निकले जब कोई अरमाँ न कोई आरज़ू निकली
तो अपनी हसरतों का ख़ून होना इस को कहते हैं
-
टैग : आरज़ू
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हम ऐसे हुए देख कर महव-ए-हैरत
ख़बर ही नहीं कौन आया है घर में
-
टैग : घर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
वहम है या सहम है क़ातिल को या मेरा ख़याल
हाथ काँपे जाते हैं ख़ंजर रवाँ होता नहीं
-
टैग : क़ातिल
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हमारी आरज़ू दिल की तुम्हारी जुम्बिश-ए-लब पर
तमन्ना अब बर आती है अगर कुछ लब-कुशा तुम हो
-
टैग : आरज़ू
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
बयान-ए-दर्द-आगीं है कहेगा जा के क्या क़ासिद
हदीस-ए-आरज़ू मेरी परेशाँ दास्ताँ मेरी
-
टैग : आरज़ू
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
बयाँ सुन कर मिरा जलते हैं शाहिद
ज़बाँ में मेरी गर्मी है बला की
-
टैग : गर्मी
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
विसाल-ए-यार जब होगा मिला देगी कभी क़िस्मत
तबीअ'त में तबीअ'त को दिल-ओ-जाँ में दिल-ओ-जाँ को
-
टैग : क़िस्मत
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हुआ है ज़ौक़ आराइश का फिर उस हुस्न-आरा को
कोई दे दे उठा कर आईना दस्त-ए-सिकंदर में
-
टैग : आईना
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हमें निस्बत है जन्नत से कि हम भी नस्ल-ए-आदम हैं
हमारा हिस्सा 'राक़िम' है इरम में हौज़-ए-कौसर में
-
टैग : जन्नत
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
थके हम तो बस इल्तिजा करते करते
कटी उ’म्र सुन सुन के शाम-ओ-सहर में
-
टैग : इल्तिजा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
बता कर शोख़ियाँ उस को अदा की
डुबोई हम ने क़िस्मत मुद्दआ' की
-
टैग : अदा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
बता कर शोख़ियाँ उस को अदा की
डुबोई हम ने क़िस्मत मुद्दआ' की
-
टैग : क़िस्मत
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
ग़ैर के घर में भी 'राक़िम' आज तुम होते चलो
एक छछूंदर छोड़ कर कुछ गुल खिलाते जाइए
-
टैग : गुल
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
ग़म-ए-फ़ुर्क़त है खाने को शब-ए-ग़म है तड़पने को
मिला है हम को वो जीना कि मरना इस को कहते हैं
-
टैग : ग़म
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
गया फ़ुर्क़त का रोना साथ उम्मीद-ओ-तमन्ना के
वो बेताबी है अगली सी न चश्म-ए-ख़ूँ-चकाँ मेरी
-
टैग : उम्मीद
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
गए पहलू से तुम क्या घर में हंगामा था महशर का
चराग़-ए-सुब्ह-गाही में जमाल-ए-शम-ए-अनवर में
-
टैग : चराग़
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
ज़माना को बदलने दो ख़ुदा वो दिन भी कर देगा
तमाशा देख लेना हम से करते इल्तिजा तुम हो
-
टैग : ख़ुदा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
ज़माना को बदलने दो ख़ुदा वो दिन भी कर देगा
तमाशा देख लेना हम से करते इल्तिजा तुम हो
-
टैग : इल्तिजा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
मुझे तुम देखते हो और उस हसरत से मैं तुम को
कि बुलबुल रू-ए-गुल को और गुल बुलबुल के अरमाँ को
-
टैग : गुल
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
तुम्हारे घर से हम निकले ख़ुदा के घर से तुम निकले
तुम्हीं ईमान से कह दो कि काफ़िर हम हैं या तुम हो
-
टैग : ईमान
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere