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Sufinama

अशआर

1769 -1851

मुग़ल बादशाह शाह आ’लम सानी के उस्ताद

1907 -1985

लखनऊ के मशहूर ताजिर

-1953

मीलाद-ए-अकबर के मुसन्निफ़ और ना’त गो-शाइ’र

1934 -1989

औघट शाह वारसी के चहेते मुरीद

1843 -1928

मा’रूफ़ सूफ़ी शाइ’र-ओ-अदीब

1904 -1998

बिहार के नाम-वर शाइ’र, अदीब, मुसन्निफ़ और मुहक़्क़िक़

1816 -1893

कैफ़ियतुल-आ’रिफ़ीन और कंज़ुल-अंसाब के मुसन्निफ़ और राम-सागर गया के मशहूर सूफ़ी

1887 -1971

मा’रूफ़ हिन्दुस्तानी शाइ’र और हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद

रामपूर का एक क़ादिर-उल-कलाम शाइ’र

1886 -1961

हैदराबाद का रुबाई’-गो सूफ़ी शाइ’र

-1927

रुहानी शाइ’र और “वारिस बैकुंठ पठावन” के मुसन्निफ़

1253 -1325

ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया के चहेते मुरीद और फ़ारसी-ओ-उर्दू के पसंदीदा सूफ़ी शाइ’र, माहिर-ए-मौसीक़ी, उन्हें तूती-ए-हिंद भी कहा जाता है

1829 -1900

दाग़ देहलवी के समकालीन। अपनी ग़ज़ल ' सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता ' के लिए प्रसिद्ध हैं।

बेदम शाह वारसी के साहिबज़ादे

1880 -1936

चौदहवीं सदी हिज्री का एक सूफ़ी शाइ’र

1850 -1936

गुलिस्तान-ए-मख़्दूम-ए-समनान का एक रौशन चराग़

1800 -1882

मुस्हफ़ी का एक मुम्ताज़ शागिर्द

1859 -1928

बािहर शरीफ़ का एक नुमाइंदा शाइ’र

1856 -1921

हिंदुस्तान के मशहूर आ’लिम-ए-दीन और ना’त-गो शाइ’र

1874 -1953

इस्लामपुर का एक गुम-नाम सूफ़ी शाइ’र

1873 -1951

मुख़्तलिफ़ ख़ूबियों वाला एक अ’ज़ीम शायर

1778 -1853

फुलवारी शरीफ़ के सूफ़ी शाइ’र

1834 -1917

चौदहवीं सदी हिज्री के मुमताज़ सूफ़ी शाइ’र और ख़ानक़ाह-ए-रशीदिया जौनपूर के सज्जादा-नशीं

1874 -1952

हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद और अपनी सूफ़ियाना शाइ’री के लिए मशहूर

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