डाॅ. ज़ुहूरुल हसन शारिब के सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ मोहम्मद तुर्क नारनौली
हज़रत शैख़ मोहम्मद तुर्क नारनौली ने अपने वतन तुर्किस्तान से हिन्दुस्तान आ कर नारनौल में सुकूनत इख़्तियार की। अलक़ाब: आपको पीर-ए-तुर्क और तुर्क-ए-सुल्तान के अलक़ाब से पुकारा जाता है। बै‘अत-ओ-ख़िलाफ़त: ये कहा जाता है कि आप ख़्वाजा ‘उस्मान हारूनी के मुरीद हैं,
हज़रत सय्यद हामिद
हज़रत सय्यद हामिद पाक बातिन बुज़ुर्ग थे। ख़ानदानी हालात: हज़रत बुर्हानुद्दीन क़ुतुब-ए-आलम के ख़ानदान से हैं। नाम-ए-नामी: आपका नाम सय्यद हामिद है। ख़िदमत: हज़रत शैख़ महमूद दरिया नोश ने ये ख़िदमत आपके सुपुर्द की थी कि आप ख़ानक़ाह की देख-भाल करें, ख़र्च-ओ-अख़राजात
हज़रत शैख़ सद्रुद्दीन मुल्तानी
हज़रत शैख़ सद्रुद्दीन मुल्तानी वली-ए-ख़ुदा और साहिब-ए-जूद-ओ-सख़ा हैं। ख़ानदानी हालात: आप हज़रत मख़्दूम हुसामुद्दीन मुल्तानी के भाँजे हैं। वालिद: आपके वालिद अपने वक़्त के जलील-उल-क़द्र बुज़ुर्ग थे। वालिदा: आपकी वालिदा बीबी आमिना ‘इबादत, सख़ावत और रास्त-गोई
हज़रत क़ाज़ी शाह मौदूद
हज़रत क़ाज़ी शाह मौदूद साहिब-ए-विलायत और सुल्तान-ए-तरीक़त हैं। ख़ानदानी हालात: आपके परदादा अंजुमुद्दीन और दादा ‘ऐनुद्दीन साहिब-ए-कमाल बुज़ुर्ग थे। वालिद-ए-माजिद: आपके पिदर-ए-बुज़ुर्गवार का नाम-ए-नामी इस्म-ए-गिरामी क़ाज़ी ‘इल्मुद्दीन है। सज्जादगी: आपने अपने
दाता गंज-बख़्श शैख़ अ'ली हुज्वेरी
दाता गंज-बख़्श शैख़ अ'ली हुज्वेरी सुल्तानुत्तरीक़त, गंज-ए-हक़ीक़त और बुर्हानुश्शरी’अत हैं। ख़ानदानी हालात: आप सादात-ए-हसनी से हैं। आपका सिलसिला-ए-नसब चंद वासतों से हज़रत सय्यदना ज़ैद शहीद इब्न-ए-अमीरुल-मोमिनीन हज़रत सय्यदना इमाम हसन पर मुंतही होता है।
हज़रत शैख़ जलालुद्दीन तबरेज़ी
हज़रत शैख़ जलालुद्दीन तबरेज़ी सुल्तान-उल-अस्फ़िया हैं। इरादतः आप हज़रत शैख़ अबू सईद तबरेज़ी के मुरीद थे। हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया उन (हज़रत अबू सईद तबरेज़ी) की बाबत फ़रमाते हैं कि आप बुज़ुर्ग शैख़ और आला दर्जे के तारिकुद्दुनिया थे। चुनांचे अक्सर आप पर क़र्ज़
हज़रत अमीर ख़ुसरौ
हज़रत अमीर ख़ुसरौ बादशाह-ए-सल्तनत-ए-शमाएल हैं, ख़ुसरौ-ए-ममलिकत-ए-फज़ाएल हैं, आप हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया के मुरीद और ख़लीफ़ा हैं। ख़ानदानी हालातः आप हज़ारा बल्ख़ के एक मुम्ताज़ ख़ानदान से वाबस्ता थे, ’इल्म और दौलत इस ख़ानदान की ख़ुसूसियात हैं। वालिद-ए-माजिदः
हज़रत शाह ‘अब्दुल लतीफ़
हज़रत शाह ‘अब्दुल लतीफ़ का ज़ाहिर-ओ-बातिन आरास्ता था। ख़ानदानी हालात: आप सुल्तान महमूद बेगड़ा के एक सरदार के साहिब-ज़ादे थे। नाम: आपका नाम मालिक अब्दुल लतीफ़ है। लक़ब: आप का लक़ब दावल शाह पीर है। ख़िताब: आप का ख़िताब दावर-उल-मालिक है। रुश्द-ओ-हिदायत:
हज़रत सय्यद तय्यब
हज़रत सय्यद तय्यब,इमाम-उल-तरीक़त और काशिफ़-उल-हक़ीक़त थे। बै'अत-ओ-ख़िलाफ़त: आप हज़रत जलालुद्दीन हुसैन शाह जियो के मुरीद और ख़लीफ़ा थे। हज को रवानगी: आप सूरत से हज का फ़रीज़ा अदा करने की गर्ज़ से रवाना हुए ।अंग्रेज़ों ने आपका जहाज़ घेर लिया। मुक़ाबला हुआ। आपके
हज़रत नए पीर
आपका नाम नहीं मा’लूम। पटन में नए पीर के लक़ब से मशहूर हैं। आपका मज़ार ज़मीन में धँसा हुआ था और उसके ऊपर खेती होती थी। क़रीब 75 साल का अर्सा हुआ कि आपने उस काश्तकार और एक और शख़्स को बशारत दी कि हमारा मज़ार जो फ़ुलाँ जगह है उस पर से मिटटी हटाओ ।चुनाँचे उस
हज़रत शैख़ इब्बन
हज़रत शैख़ इब्बन एक मज्ज़ूब थे जिनके हालात नहीं मिलते हैं। इन्होंने एक मस्जिद अहमद-आबाद में बनवाना शुरू’ की थी। ये मस्जिद जाली वाली मस्जिद के नाम से मशहूर है। अभी मस्जिद ना-तमाम थी कि आपका विसाल हो गया। आप उसी मस्जिद महव-ए-ख़्वाब हैं। आपके बा’द शैख़
हज़रत शैख़ नजीबुद्दीन मुतवक्किल
हज़रत शैख़ नजीबुद्दीन मुतवक्किल साहिब-ए-दिल थे, आप साहब-ए-कश्फ़-ओ- करामात,सनद-ए-औलिया और हुज्जत-ए-मशाएख़-ए-वक़्त,मुशाहिदात-ओ- मक़ालात-ए-‘आली में यकता,तमाम मशाएख़-ए-वक़्त के कमालात-ए-सुवरी-ओ- मा’नवी के मक़र्र थे। आप हज़रत बाबा फ़रीदुद्दीन मसऊ’द गंज शकर
हज़रत शैख़ बाबू जियु
हज़रत शैख़ बाबू जियो साहिब-ए-दिल और साहिब-ए-निस्बत बुज़ुर्ग थे। ख़ानदानी हालात-ओ-विलादत: आप हज़रत मख़दूम जहाँनियान-ए-जहाँ गश्त की औलाद से थे।पटन में पैदा हुए। बै'अत-ओ-ख़िलाफ़त: आपने हज़रत शैख़ बुर्हानुद्दीन ग़रीब के दस्त-ए-हक़-परस्त पर बै'अत की। पीर-ओ-मुर्शिद
हज़रत शैख़ बुर्हानुद्दीन
हज़रत शैख़ बुर्हानुद्दीन ‘उलूम-ए-ज़ाहिरी-ओ-बातिनी में यकता थे। बै'अत-ओ-ख़िलाफ़त: आप हज़रत शाह क़ाज़िन के मुरीद और ख़लीफ़ा हैं। पीर-ओ-मुर्शिद की दु'आ: आप शा'इर भी थे। एक मर्तबा आपने अपने पीर-ओ-मुर्शिद से 'अर्ज़ किया कि हज़रत अमीर ख़ुसरौ को सुल्तान-उल-मशाइख़ ख़्वाजा
हज़रत शैख़ अब्दुल-हक़ मुहद्दिस देहलवी
हज़रत शाह ‘अब्दुल्लाह मुहद्दिस देहलवी ‘आलिम-ए-रब्बानी, मुर्ताज़-ए-हक़्क़ानी हैं ।आप शैख़-उल-‘अस्र और ‘अल्लामतुददह्र थे। ख़ानदानी हालात: आप बुख़ारा के एक मु'अज़्ज़ज़ ख़ानदान से हैं। आपके दादा आग़ा मोहम्मद ख़ानदानी दौलत और ‘अज़मत के साथ साथ रूहानी और ‘इल्मी दौलत
हज़रत पीर 'इल्म-ए-क़ुरआन
पटन में दो बुज़ुर्गों के मज़ारात मशहूर हैं। ये मज़ारात के नाम से मशहूर नहीं हैं बल्कि ये पीर-ए-क़ुरआन कहलाते हैं। दोनों मज़ारात ख़ान सरवर तालाब के मग़रिब की तरफ़ हज़रत शाह ‘अब्दुल लतीफ़ के मज़ार के क़रीब वाक़े' हैं। करामत: आज भी इन मज़ारात से फैज़ जारी है । जिन
हज़रत क़ुत्ब-ए-आलम
हज़रत क़ुत्ब-ए-आलम के नाम से ‘आलम में मशहूर हुए। ख़ानदानी हालात: आप हज़रत मख़दूम जहाँनियाँ जहाँगश्त सय्यद जलालुद्दीन बुख़ारी के पोते हैं। नामः आपका नाम सय्यद बुर्हानुद्दीन है। लक़बः आपका लक़ब “क़ुतुब-ए-‘आलम” है। इसी लक़ब से आप मशहूर हुए। गुजरात
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere