संपूर्ण
ई-पुस्तक28
ई-पुस्तक28
परिचय
फ़ारसी कलाम17
फ़ारसी कलाम17
फ़ारसी सूफ़ी काव्य4
फ़ारसी सूफ़ी काव्य4
सूफ़ी कहानी244
सूफ़ी कहानी244
सूफ़ी उद्धरण53
सूफ़ी उद्धरण53
सादी शीराज़ी की सूफ़ी कहानियाँ
कहानी -4-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
अ’रब के चोरों के एक गिरोह ने एक पहाड़ी पर अड्डा जमा लिया था। उनके डर से यात्रियों ने उधर का रास्ता ही छोड़ दिया। शहर के लोग उनके डर से काँपते थे। बादशाह के सिपाही भी उन्हें पकड़ने की हिम्मत न करते। कारण यह था कि पहाड़ी पर चोरों के लिए एक बहुत ही सुरक्षित
कहानी -4-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
अ’रब के चोरों के एक गिरोह ने एक पहाड़ी पर अड्डा जमा लिया था। उनके डर से यात्रियों ने उधर का रास्ता ही छोड़ दिया। शहर के लोग उनके डर से काँपते थे। बादशाह के सिपाही भी उन्हें पकड़ने की हिम्मत न करते। कारण यह था कि पहाड़ी पर चोरों के लिए एक बहुत ही सुरक्षित
कहानी-1-फ़क़ीरी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक बड़े आदमी ने किसी नेक बुज़ुर्ग से पूछा, उस ख़ुदा-परस्त के बारे में आपकी क्या राय है? दूसरे लोग तो उसकी बुराई करते हैं। बुज़ुर्ग ने कहा, उसके ऊपरी रहन-सहन में मुझे कोई बुराई नहीं मिली और अन्दर का हाल मैं जान नहीं सकता। जो फ़क़ीरों के से कपड़े पहने
कहानी-1-फ़क़ीरी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक बड़े आदमी ने किसी नेक बुज़ुर्ग से पूछा, उस ख़ुदा-परस्त के बारे में आपकी क्या राय है? दूसरे लोग तो उसकी बुराई करते हैं। बुज़ुर्ग ने कहा, उसके ऊपरी रहन-सहन में मुझे कोई बुराई नहीं मिली और अन्दर का हाल मैं जान नहीं सकता। जो फ़क़ीरों के से कपड़े पहने
कहानी-2- फ़क़ीरी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक फ़क़ीर को देखा जो का’बा की चौखट पर माथा रगड़ रहा था। वह रो-रोकर कह रहा था, ऐ क़ुसूरों को मुआ’फ़ करने वाले! और ऐ रहम करने वाले! तू तो जानता है कि मैं कितना ज़ालिम और गुमराह हूँ। मुझसे क्या भलाई हो सकती है? मैं मुआ’फ़ी चाहता हूँ कि मैं तेरी ख़िदमत
कहानी-2- फ़क़ीरी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक फ़क़ीर को देखा जो का’बा की चौखट पर माथा रगड़ रहा था। वह रो-रोकर कह रहा था, ऐ क़ुसूरों को मुआ’फ़ करने वाले! और ऐ रहम करने वाले! तू तो जानता है कि मैं कितना ज़ालिम और गुमराह हूँ। मुझसे क्या भलाई हो सकती है? मैं मुआ’फ़ी चाहता हूँ कि मैं तेरी ख़िदमत
कहानी -1-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक बादशाह के बारे में सुना है कि उसने एक क़ैदी को मृत्यु-दंड दे दिया। जब क़ैदी जीवन से निराश हो गया, तो वह क्रोध में आकर बादशाह को गालियाँ देने लगा। कहावत मशहूर है कि जो आदमी जान से हाथ धो लेता है, वह कुछ भी कहने सुनने में नहीं डरता। जब दुश्मन
कहानी -1-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक बादशाह के बारे में सुना है कि उसने एक क़ैदी को मृत्यु-दंड दे दिया। जब क़ैदी जीवन से निराश हो गया, तो वह क्रोध में आकर बादशाह को गालियाँ देने लगा। कहावत मशहूर है कि जो आदमी जान से हाथ धो लेता है, वह कुछ भी कहने सुनने में नहीं डरता। जब दुश्मन
कहानी-6- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक आ’बिद किसी बादशाह के यहाँ मेहमान था। जब सब लोग खाने पर बैठे तो उसने सबसे कम खाया और जब सब लोग नमाज़ पढ़ने लगे तो उसने सबसे ज़ियादा देर तक नमाज़ पढ़ी जिस से लोग उसे बड़ा पहुँचा हुआ ख़ुदापरस्त समझें। ऐ बद्दू! मुझे डर है कि तू का’बे तक नहीं पहुँच सकेगा,
कहानी-6- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक आ’बिद किसी बादशाह के यहाँ मेहमान था। जब सब लोग खाने पर बैठे तो उसने सबसे कम खाया और जब सब लोग नमाज़ पढ़ने लगे तो उसने सबसे ज़ियादा देर तक नमाज़ पढ़ी जिस से लोग उसे बड़ा पहुँचा हुआ ख़ुदापरस्त समझें। ऐ बद्दू! मुझे डर है कि तू का’बे तक नहीं पहुँच सकेगा,
कहानी -3-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक शहज़ादे के बारे में सुना कि वह छोटे क़द का तथा कुरूप था, जबकि उसके और भाई लम्बे-तगड़े और सुन्दर थे। एक दिन बादशाह ने अपने उस कुरूप बेटे की ओर नफ़रत से देखा। शहज़ादा बड़ा चतुर था। तत्कालीन समझ गया कि पिता के मन में कैसा भाव उठा है। उसने बादशाह
कहानी -3-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक शहज़ादे के बारे में सुना कि वह छोटे क़द का तथा कुरूप था, जबकि उसके और भाई लम्बे-तगड़े और सुन्दर थे। एक दिन बादशाह ने अपने उस कुरूप बेटे की ओर नफ़रत से देखा। शहज़ादा बड़ा चतुर था। तत्कालीन समझ गया कि पिता के मन में कैसा भाव उठा है। उसने बादशाह
कहानी -22-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक बादशाह को ऐसा भयानक रोग लग गया जिसका न बताना ही अच्छा है। यूनानी हकीमों ने एकमत होकर कहा कि इस रोग का कोई इ’लाज नहीं। केवल एक चीज़ से लाभ हो सकता है। वह है किसी ऐसे आदमी का जिगर जिसमें हकीमों की बताई हुई कुछ विशेषताए हों। बादशाह ने आज्ञा दी कि वैसा
कहानी -22-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक बादशाह को ऐसा भयानक रोग लग गया जिसका न बताना ही अच्छा है। यूनानी हकीमों ने एकमत होकर कहा कि इस रोग का कोई इ’लाज नहीं। केवल एक चीज़ से लाभ हो सकता है। वह है किसी ऐसे आदमी का जिगर जिसमें हकीमों की बताई हुई कुछ विशेषताए हों। बादशाह ने आज्ञा दी कि वैसा
कहानी-5- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
कुछ फ़क़ीर साथ-साथ सफ़र कर रहे थे। आराम-तकलीफ़ जो भी मिले, आपस में बांट लेते। मैंने चाहा कि मैं भी उनके साथ हो लूँ किन्तु वे इसके लिए राज़ी न हुए। मैंने कहा, यह भले आदमियों का दस्तूर नहीं है कि अपनी संगति से दूसरों को वंचित रखे। मैं ताक़त और ज़ात में
कहानी-5- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
कुछ फ़क़ीर साथ-साथ सफ़र कर रहे थे। आराम-तकलीफ़ जो भी मिले, आपस में बांट लेते। मैंने चाहा कि मैं भी उनके साथ हो लूँ किन्तु वे इसके लिए राज़ी न हुए। मैंने कहा, यह भले आदमियों का दस्तूर नहीं है कि अपनी संगति से दूसरों को वंचित रखे। मैं ताक़त और ज़ात में
कहानी -38-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
कुछ बुद्धिमान लोग नौशेरवाँ के दरबार में किसी समस्या पर विचार कर रहे थे। उन सब में श्रेष्ठ था बज़रचमहर, जो बिलकुल चुप बैठा था। लोगों ने उससे कहा, आप इस बात-चीत में हिस्सा क्यों नहीं लेते? वह बोला, वज़ीरों और हकीमों का काम एक जैसा है। हकीम उसी समय
कहानी -38-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
कुछ बुद्धिमान लोग नौशेरवाँ के दरबार में किसी समस्या पर विचार कर रहे थे। उन सब में श्रेष्ठ था बज़रचमहर, जो बिलकुल चुप बैठा था। लोगों ने उससे कहा, आप इस बात-चीत में हिस्सा क्यों नहीं लेते? वह बोला, वज़ीरों और हकीमों का काम एक जैसा है। हकीम उसी समय
कहानी -15-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
किसी बादशाह ने अपने वज़ीर को नौकरी से निकाल दिया तो वह फ़क़ीरों के साथ जाकर रहने लगा। उनकी संगति का उस पर गहरा प्रभाव पड़ा। उसने सन्तोष करना सीख लिया। कुछ समय पश्चात् बादशाह को अपनी भूल का पता चला। उसने वज़ीर से पुराने पद पर लौट आने को कहा। वज़ीर इसके
कहानी -15-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
किसी बादशाह ने अपने वज़ीर को नौकरी से निकाल दिया तो वह फ़क़ीरों के साथ जाकर रहने लगा। उनकी संगति का उस पर गहरा प्रभाव पड़ा। उसने सन्तोष करना सीख लिया। कुछ समय पश्चात् बादशाह को अपनी भूल का पता चला। उसने वज़ीर से पुराने पद पर लौट आने को कहा। वज़ीर इसके
कहानी -10-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैं दमिश्क की जामा’ मस्जिद में हज़रत याहया की क़ब्र पर इ’बादत के लिए बैठा था। मेरे सामने यहाँ अ’रब का एक बादशाह आया जो एक अत्याचारी शासक के रूप में जाना जाता था। उसने क़ब्र पर नमाज़ पढ़कर मन्नत माँगी। 'फ़क़ीर और मालदार सभी इस दर की ख़ाक के ग़ुलाम हैं।
कहानी -10-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैं दमिश्क की जामा’ मस्जिद में हज़रत याहया की क़ब्र पर इ’बादत के लिए बैठा था। मेरे सामने यहाँ अ’रब का एक बादशाह आया जो एक अत्याचारी शासक के रूप में जाना जाता था। उसने क़ब्र पर नमाज़ पढ़कर मन्नत माँगी। 'फ़क़ीर और मालदार सभी इस दर की ख़ाक के ग़ुलाम हैं।
कहानी -2-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
ख़ुरासान के एक बादशाह ने स्वप्न में देखा कि सुल्तान म महमूद सुबुक्तगीन का सारा शरीर गल-सड़ चुका है, किन्तु उसकी आँख अपने गोलकों में घूम रही है और चारों तरफ़ देख रही है। बादशाह ने आ'लिमों से पूछा, 'इस स्वप्न का क्या अर्थ है?' जब कोई भी आ'लिम इस स्वप्न
कहानी -2-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
ख़ुरासान के एक बादशाह ने स्वप्न में देखा कि सुल्तान म महमूद सुबुक्तगीन का सारा शरीर गल-सड़ चुका है, किन्तु उसकी आँख अपने गोलकों में घूम रही है और चारों तरफ़ देख रही है। बादशाह ने आ'लिमों से पूछा, 'इस स्वप्न का क्या अर्थ है?' जब कोई भी आ'लिम इस स्वप्न
कहानी-19- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
यूनान के राज्य में चोरों ने सौदागरों के एक क़ाफ़िले को लूट लिया और बहुत-सा धन लेकर भाग गए। सौदागर बहुत रोए-पीटे। उन्होंने ख़ुदा और रसूल की दुहाई दी परन्तु उससे कोई फ़ाइदा न हुआ। 'जब काले दिल वाला दुष्ट अपने कार्य में सफल हो गया तो उसे क़ाफ़िले वालों
कहानी-19- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
यूनान के राज्य में चोरों ने सौदागरों के एक क़ाफ़िले को लूट लिया और बहुत-सा धन लेकर भाग गए। सौदागर बहुत रोए-पीटे। उन्होंने ख़ुदा और रसूल की दुहाई दी परन्तु उससे कोई फ़ाइदा न हुआ। 'जब काले दिल वाला दुष्ट अपने कार्य में सफल हो गया तो उसे क़ाफ़िले वालों
कहानी-4-फ़क़ीरी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक चोर किसी फ़क़ीर के घर में घुसा और बहुत देर तक सामान ढूँढता रहा। जब कुछ नहीं मिला तो उसे बड़ा दुख हुआ। फ़क़ीर को जब यह मा’लूम हुआ तो उसने अपना कम्बल, जिसमें वह लिपटा हुआ पड़ा था, निकालकर चोर के सामने फेंक दिया, ताकि वह ख़ाली हाथ न जाए। मैंने सुना
कहानी-4-फ़क़ीरी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक चोर किसी फ़क़ीर के घर में घुसा और बहुत देर तक सामान ढूँढता रहा। जब कुछ नहीं मिला तो उसे बड़ा दुख हुआ। फ़क़ीर को जब यह मा’लूम हुआ तो उसने अपना कम्बल, जिसमें वह लिपटा हुआ पड़ा था, निकालकर चोर के सामने फेंक दिया, ताकि वह ख़ाली हाथ न जाए। मैंने सुना
कहानी -9-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
अ’जम का एक बादशाह बुढापे में बीमार पड़ा और उसके जीने की कोई आशा न बची। वह मृत्यु-शय्या पर पड़ा हुआ था। उसी समय एक घुड़सवार ने आकर सूचना दी कि उसकी सेना ने एक क़िले’ को जीत लिया और वहाँ के शत्रुओं को क़ैद कर लिया है। उसने यह भी बताया कि शत्रु पक्ष की
कहानी -9-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
अ’जम का एक बादशाह बुढापे में बीमार पड़ा और उसके जीने की कोई आशा न बची। वह मृत्यु-शय्या पर पड़ा हुआ था। उसी समय एक घुड़सवार ने आकर सूचना दी कि उसकी सेना ने एक क़िले’ को जीत लिया और वहाँ के शत्रुओं को क़ैद कर लिया है। उसने यह भी बताया कि शत्रु पक्ष की
कहानी -7-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
कोई एक बादशाह अ’जम के एक ग़ुलाम के साथ नाव में सवार हुआ। उस ग़ुलाम ने इससे पहले कभी नदी में सफ़र नहीं किया था। नाव जब चलने लगी तो वह भयभीत हो गया। वह रोने-चिल्लाने लगा और डर के मारे काँपने लगा।बादशाह के मनोविनोद में जब विघ्न पड़ा तो उसे क्रोध आ गया।
कहानी -7-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
कोई एक बादशाह अ’जम के एक ग़ुलाम के साथ नाव में सवार हुआ। उस ग़ुलाम ने इससे पहले कभी नदी में सफ़र नहीं किया था। नाव जब चलने लगी तो वह भयभीत हो गया। वह रोने-चिल्लाने लगा और डर के मारे काँपने लगा।बादशाह के मनोविनोद में जब विघ्न पड़ा तो उसे क्रोध आ गया।
कहानी -5-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक सिपाही को उग़लमश(एक राजा) के दरवाज़े पर पहरा लगाते देखा। वह नौजवान बड़ा अ’क़्लमन्द था। हर काम बड़ी होशियारी से करता। बचपन से ही हर बात से उसकी समझदारी प्रकट हाती थी। उसके चेहरे को देखकर ही यह कहा जा सकता था कि एक दिन वह महान व्यक्ति बनेगा। बादशाह
कहानी -5-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक सिपाही को उग़लमश(एक राजा) के दरवाज़े पर पहरा लगाते देखा। वह नौजवान बड़ा अ’क़्लमन्द था। हर काम बड़ी होशियारी से करता। बचपन से ही हर बात से उसकी समझदारी प्रकट हाती थी। उसके चेहरे को देखकर ही यह कहा जा सकता था कि एक दिन वह महान व्यक्ति बनेगा। बादशाह
कहानी -12-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक ज़ालिम बादशाह ने किसी बुज़ुर्ग से पूछा, सबसे अच्छी इ’बादत कौन-सी होती है? उसने जवाब दिया, तेरे लिए सबसे अच्छी इ’बादत दिन में सोना है, क्योंकि कम-से-कम उतनी देर लोग तेरे अत्याचार से बचे रहेंगे। मैंने एक ज़ालिम को दोपहर में सोते हुए देखा, तो कहा,
कहानी -12-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक ज़ालिम बादशाह ने किसी बुज़ुर्ग से पूछा, सबसे अच्छी इ’बादत कौन-सी होती है? उसने जवाब दिया, तेरे लिए सबसे अच्छी इ’बादत दिन में सोना है, क्योंकि कम-से-कम उतनी देर लोग तेरे अत्याचार से बचे रहेंगे। मैंने एक ज़ालिम को दोपहर में सोते हुए देखा, तो कहा,
कहानी -6-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
अ'जम के एक बादशाह के सम्बन्ध में यह कहा जाता है कि वह बड़ा ज़ालिम था। वह प्रजा का माल ख़ूब लूटता-खसोटता था और लोगों के साथ बड़ा अन्याय करता था। परिणाम यह हुआ कि लोग उसका राज्य छोड़-छोड़कर भागने लगे। जब राज्य की जनसंख्या बहुत कम रह गई और राज-कोप की आय
कहानी -6-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
अ'जम के एक बादशाह के सम्बन्ध में यह कहा जाता है कि वह बड़ा ज़ालिम था। वह प्रजा का माल ख़ूब लूटता-खसोटता था और लोगों के साथ बड़ा अन्याय करता था। परिणाम यह हुआ कि लोग उसका राज्य छोड़-छोड़कर भागने लगे। जब राज्य की जनसंख्या बहुत कम रह गई और राज-कोप की आय
कहानी -41-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
अस्कन्दर रूमी से लोगों ने पूछा कि पूरब और पश्चिम के मुल्कों को तूने कैसे जीता? जब कि तुझसे पहले के बादशाह इन्हें नहीं जीत सके। उन बादशाहों के पास तुझसे अधिक धन और सेनाएँ थी और वे बहुत लम्बें समय तक जीवित भी थे। उसने उत्तर दिया, उस ख़ुदा की मदद से,
कहानी -41-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
अस्कन्दर रूमी से लोगों ने पूछा कि पूरब और पश्चिम के मुल्कों को तूने कैसे जीता? जब कि तुझसे पहले के बादशाह इन्हें नहीं जीत सके। उन बादशाहों के पास तुझसे अधिक धन और सेनाएँ थी और वे बहुत लम्बें समय तक जीवित भी थे। उसने उत्तर दिया, उस ख़ुदा की मदद से,
कहानी -3-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
इ'ल्म,दीन की बारीकियों को समझने के लिए होना चाहिए, पैसा कमाने के लिए नहीं। जिसने पैसे की ख़ातिर अपना दीन, ईमान, इ’ल्म और परहेज़-गारी को बेच दिया, उसकी मिसाल ऐसे किसान से दी जा सकती है जिसने साल-भर मेहनत करके अनाज उगाया, खलिहान जम्अ’ किया, फिर उसमें आग
कहानी -3-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
इ'ल्म,दीन की बारीकियों को समझने के लिए होना चाहिए, पैसा कमाने के लिए नहीं। जिसने पैसे की ख़ातिर अपना दीन, ईमान, इ’ल्म और परहेज़-गारी को बेच दिया, उसकी मिसाल ऐसे किसान से दी जा सकती है जिसने साल-भर मेहनत करके अनाज उगाया, खलिहान जम्अ’ किया, फिर उसमें आग
कहानी -22-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
सब्र से बहुत-से काम निकलते हैं और जल्द-बाज़ मुंह के बल गिरता है। मैंने जंगल में अपनी आँख से देखा कि आहिस्ता चलने वाला दौड़ने वालो से बाज़ी ले गया। तेज़ चलने वाला घोड़ा दौड़ में थक जाता है और आहिस्ता-आहिस्ता चलने वाला ऊँट मंज़िल पर जा पहुँचता ह
कहानी -22-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
सब्र से बहुत-से काम निकलते हैं और जल्द-बाज़ मुंह के बल गिरता है। मैंने जंगल में अपनी आँख से देखा कि आहिस्ता चलने वाला दौड़ने वालो से बाज़ी ले गया। तेज़ चलने वाला घोड़ा दौड़ में थक जाता है और आहिस्ता-आहिस्ता चलने वाला ऊँट मंज़िल पर जा पहुँचता ह
कहानी -20-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक हाकिम के बारे में मैंने सुना कि वह बादशाह के ख़ज़ाने को भरने के लिए लोगों को लूट-लूटकर उन्हें तबाह करता था। उसने बुद्धिमानों की इस कहावत पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया कि जो व्यक्ति किसी दूसरे को ख़ुश करने के लिए ऐसे काम करता है जिनसे नुक़्सान नाराज़
कहानी -20-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक हाकिम के बारे में मैंने सुना कि वह बादशाह के ख़ज़ाने को भरने के लिए लोगों को लूट-लूटकर उन्हें तबाह करता था। उसने बुद्धिमानों की इस कहावत पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया कि जो व्यक्ति किसी दूसरे को ख़ुश करने के लिए ऐसे काम करता है जिनसे नुक़्सान नाराज़
कहानी -34-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
जो अ’क़्लमन्द जाहिलों से झगड़ा करे, उसे चाहिए कि अपनी इ’ज़्ज़त बचाए रखने का ख़याल छोड़ दे। यह देखा जाता है कि जाहिल गाली-गलौज से अ’क़्लमन्द को दबा लेता है। यह कोई तअ’ज्जुब की बात भी नहीं क्योंकि जाहिल तो पत्थर है जो मोती को तोड़ डालता है। यदि बुलबुल
कहानी -34-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
जो अ’क़्लमन्द जाहिलों से झगड़ा करे, उसे चाहिए कि अपनी इ’ज़्ज़त बचाए रखने का ख़याल छोड़ दे। यह देखा जाता है कि जाहिल गाली-गलौज से अ’क़्लमन्द को दबा लेता है। यह कोई तअ’ज्जुब की बात भी नहीं क्योंकि जाहिल तो पत्थर है जो मोती को तोड़ डालता है। यदि बुलबुल
कहानी -1-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
धन ज़िन्दगी के आराम के लिए होता है। ज़िन्दगी धन जमा करने के लिए नहीं। एक अ’क़्लमन्द से लोगों ने पूछा, ख़ुश-क़िस्मत कौन है और बद-क़िस्मत कौन?” उसने जवाब दिया, ख़ुश-क़िस्मत वह है जिसने खाया और ख़ैरात दी। बद-क़िस्मत वह है जिसने जमा किया और छोड़कर मर
कहानी -1-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
धन ज़िन्दगी के आराम के लिए होता है। ज़िन्दगी धन जमा करने के लिए नहीं। एक अ’क़्लमन्द से लोगों ने पूछा, ख़ुश-क़िस्मत कौन है और बद-क़िस्मत कौन?” उसने जवाब दिया, ख़ुश-क़िस्मत वह है जिसने खाया और ख़ैरात दी। बद-क़िस्मत वह है जिसने जमा किया और छोड़कर मर
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere