सादी शीराज़ी की सूफ़ी कहानियाँ
कहानी -4-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
अ’रब के चोरों के एक गिरोह ने एक पहाड़ी पर अड्डा जमा लिया था। उनके डर से यात्रियों ने उधर का रास्ता ही छोड़ दिया। शहर के लोग उनके डर से काँपते थे। बादशाह के सिपाही भी उन्हें पकड़ने की हिम्मत न करते। कारण यह था कि पहाड़ी पर चोरों के लिए एक बहुत ही सुरक्षित
कहानी-1-फ़क़ीरी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक बड़े आदमी ने किसी नेक बुज़ुर्ग से पूछा, उस ख़ुदा-परस्त के बारे में आपकी क्या राय है? दूसरे लोग तो उसकी बुराई करते हैं। बुज़ुर्ग ने कहा, उसके ऊपरी रहन-सहन में मुझे कोई बुराई नहीं मिली और अन्दर का हाल मैं जान नहीं सकता। जो फ़क़ीरों के से कपड़े पहने
कहानी-2- फ़क़ीरी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक फ़क़ीर को देखा जो का’बा की चौखट पर माथा रगड़ रहा था। वह रो-रोकर कह रहा था, ऐ क़ुसूरों को मुआ’फ़ करने वाले! और ऐ रहम करने वाले! तू तो जानता है कि मैं कितना ज़ालिम और गुमराह हूँ। मुझसे क्या भलाई हो सकती है? मैं मुआ’फ़ी चाहता हूँ कि मैं तेरी ख़िदमत
कहानी-6- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक आ’बिद किसी बादशाह के यहाँ मेहमान था। जब सब लोग खाने पर बैठे तो उसने सबसे कम खाया और जब सब लोग नमाज़ पढ़ने लगे तो उसने सबसे ज़ियादा देर तक नमाज़ पढ़ी जिस से लोग उसे बड़ा पहुँचा हुआ ख़ुदापरस्त समझें। ऐ बद्दू! मुझे डर है कि तू का’बे तक नहीं पहुँच सकेगा,
कहानी -22-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक बादशाह को ऐसा भयानक रोग लग गया जिसका न बताना ही अच्छा है। यूनानी हकीमों ने एकमत होकर कहा कि इस रोग का कोई इ’लाज नहीं। केवल एक चीज़ से लाभ हो सकता है। वह है किसी ऐसे आदमी का जिगर जिसमें हकीमों की बताई हुई कुछ विशेषताए हों। बादशाह ने आज्ञा दी कि वैसा
कहानी -38-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
कुछ बुद्धिमान लोग नौशेरवाँ के दरबार में किसी समस्या पर विचार कर रहे थे। उन सब में श्रेष्ठ था बज़रचमहर, जो बिलकुल चुप बैठा था। लोगों ने उससे कहा, आप इस बात-चीत में हिस्सा क्यों नहीं लेते? वह बोला, वज़ीरों और हकीमों का काम एक जैसा है। हकीम उसी समय
कहानी-5- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
कुछ फ़क़ीर साथ-साथ सफ़र कर रहे थे। आराम-तकलीफ़ जो भी मिले, आपस में बांट लेते। मैंने चाहा कि मैं भी उनके साथ हो लूँ किन्तु वे इसके लिए राज़ी न हुए। मैंने कहा, यह भले आदमियों का दस्तूर नहीं है कि अपनी संगति से दूसरों को वंचित रखे। मैं ताक़त और ज़ात में
कहानी-4-फ़क़ीरी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक चोर किसी फ़क़ीर के घर में घुसा और बहुत देर तक सामान ढूँढता रहा। जब कुछ नहीं मिला तो उसे बड़ा दुख हुआ। फ़क़ीर को जब यह मा’लूम हुआ तो उसने अपना कम्बल, जिसमें वह लिपटा हुआ पड़ा था, निकालकर चोर के सामने फेंक दिया, ताकि वह ख़ाली हाथ न जाए। मैंने सुना
कहानी-19- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
यूनान के राज्य में चोरों ने सौदागरों के एक क़ाफ़िले को लूट लिया और बहुत-सा धन लेकर भाग गए। सौदागर बहुत रोए-पीटे। उन्होंने ख़ुदा और रसूल की दुहाई दी परन्तु उससे कोई फ़ाइदा न हुआ। 'जब काले दिल वाला दुष्ट अपने कार्य में सफल हो गया तो उसे क़ाफ़िले वालों
कहानी -41-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
अस्कन्दर रूमी से लोगों ने पूछा कि पूरब और पश्चिम के मुल्कों को तूने कैसे जीता? जब कि तुझसे पहले के बादशाह इन्हें नहीं जीत सके। उन बादशाहों के पास तुझसे अधिक धन और सेनाएँ थी और वे बहुत लम्बें समय तक जीवित भी थे। उसने उत्तर दिया, उस ख़ुदा की मदद से,
कहानी -3-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक शहज़ादे के बारे में सुना कि वह छोटे क़द का तथा कुरूप था, जबकि उसके और भाई लम्बे-तगड़े और सुन्दर थे। एक दिन बादशाह ने अपने उस कुरूप बेटे की ओर नफ़रत से देखा। शहज़ादा बड़ा चतुर था। तत्कालीन समझ गया कि पिता के मन में कैसा भाव उठा है। उसने बादशाह
कहानी -22-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
सब्र से बहुत-से काम निकलते हैं और जल्द-बाज़ मुंह के बल गिरता है। मैंने जंगल में अपनी आँख से देखा कि आहिस्ता चलने वाला दौड़ने वालो से बाज़ी ले गया। तेज़ चलने वाला घोड़ा दौड़ में थक जाता है और आहिस्ता-आहिस्ता चलने वाला ऊँट मंज़िल पर जा पहुँचता ह
कहानी -10-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैं दमिश्क की जामा’ मस्जिद में हज़रत याहया की क़ब्र पर इ’बादत के लिए बैठा था। मेरे सामने यहाँ अ’रब का एक बादशाह आया जो एक अत्याचारी शासक के रूप में जाना जाता था। उसने क़ब्र पर नमाज़ पढ़कर मन्नत माँगी। 'फ़क़ीर और मालदार सभी इस दर की ख़ाक के ग़ुलाम हैं।
कहानी -24-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
ज़ोज़न के बादशाह का एक वज़ीर था जो कुलीन और अच्छे स्वभाव का था। वह लोगों को उचित सम्मान देता था और पीठ पीछे किसी की बुराई नहीं करता था। एक बार बादशाह किसी बात पर उससे नाराज़ हो गया। उसने वज़ीर पर जुर्माना कर दिया और उसे जेल भिजवा दिया। बादशाह के सिपाही
कहानी -2-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
ख़ुरासान के एक बादशाह ने स्वप्न में देखा कि सुल्तान म महमूद सुबुक्तगीन का सारा शरीर गल-सड़ चुका है, किन्तु उसकी आँख अपने गोलकों में घूम रही है और चारों तरफ़ देख रही है। बादशाह ने आ'लिमों से पूछा, 'इस स्वप्न का क्या अर्थ है?' जब कोई भी आ'लिम इस स्वप्न
कहानी -23-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
नादान के लिए चुप रहने से बढ़कर और कोई चीज़ नहीं है, लेकिन कोई यह बात समझ ले तो वह ना-दान ही न रहे। जिस तरह अन्दर गिरी न होने से अख़रोट हल्का हो जाता है, उसी तरह हुनर न होने से इन्सान की बातचीत उसे बे-क़द्र कर देती है। एक मुर्ख एक गधे को बड़ी मेहनत
कहानी -6-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
अ'जम के एक बादशाह के सम्बन्ध में यह कहा जाता है कि वह बड़ा ज़ालिम था। वह प्रजा का माल ख़ूब लूटता-खसोटता था और लोगों के साथ बड़ा अन्याय करता था। परिणाम यह हुआ कि लोग उसका राज्य छोड़-छोड़कर भागने लगे। जब राज्य की जनसंख्या बहुत कम रह गई और राज-कोप की आय
कहानी-9- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
कोह लम्वान के एक बज़ुर्ग बड़े उदार तथा दानी थे। अ’रब देशों में उनका यश दूर-दूर तक फैला हुआ था। एक बार वे दमिश्क की जामे'-मस्जिद के सामने चूने के हौज़ के किनारे वुज़ू कर रहे थे। अचानक उनका पैर फिसला। वे हौज़ में गिर पड़े और बड़ी मुश्किल से बाहर निकल पाए।
कहानी -7-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
कोई एक बादशाह अ’जम के एक ग़ुलाम के साथ नाव में सवार हुआ। उस ग़ुलाम ने इससे पहले कभी नदी में सफ़र नहीं किया था। नाव जब चलने लगी तो वह भयभीत हो गया। वह रोने-चिल्लाने लगा और डर के मारे काँपने लगा।बादशाह के मनोविनोद में जब विघ्न पड़ा तो उसे क्रोध आ गया।
कहानी -1-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक बादशाह के बारे में सुना है कि उसने एक क़ैदी को मृत्यु-दंड दे दिया। जब क़ैदी जीवन से निराश हो गया, तो वह क्रोध में आकर बादशाह को गालियाँ देने लगा। कहावत मशहूर है कि जो आदमी जान से हाथ धो लेता है, वह कुछ भी कहने सुनने में नहीं डरता। जब दुश्मन
कहानी -12-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक ज़ालिम बादशाह ने किसी बुज़ुर्ग से पूछा, सबसे अच्छी इ’बादत कौन-सी होती है? उसने जवाब दिया, तेरे लिए सबसे अच्छी इ’बादत दिन में सोना है, क्योंकि कम-से-कम उतनी देर लोग तेरे अत्याचार से बचे रहेंगे। मैंने एक ज़ालिम को दोपहर में सोते हुए देखा, तो कहा,
कहानी -5-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक सिपाही को उग़लमश(एक राजा) के दरवाज़े पर पहरा लगाते देखा। वह नौजवान बड़ा अ’क़्लमन्द था। हर काम बड़ी होशियारी से करता। बचपन से ही हर बात से उसकी समझदारी प्रकट हाती थी। उसके चेहरे को देखकर ही यह कहा जा सकता था कि एक दिन वह महान व्यक्ति बनेगा। बादशाह
कहानी -9-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
अ’जम का एक बादशाह बुढापे में बीमार पड़ा और उसके जीने की कोई आशा न बची। वह मृत्यु-शय्या पर पड़ा हुआ था। उसी समय एक घुड़सवार ने आकर सूचना दी कि उसकी सेना ने एक क़िले’ को जीत लिया और वहाँ के शत्रुओं को क़ैद कर लिया है। उसने यह भी बताया कि शत्रु पक्ष की
कहानी -46-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
दो बातें अ’क़्ल के बिलकुल ख़िलाफ़ हैं। एक तो तक़दीर में जितनी लिखी है उसेसे ज़ियादा रोज़ी पाना और दूसरे मुक़र्रर वक़्त से पहले मौत का आना। हज़ारों आहें और नाले करने से भी तक़दीर नहीं बदलती। चाहे शुक्र अदा करो या गिला-शिकवा, कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा।
कहानी -8-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
जो कमज़ोर दुश्मन तेरे क़ब्ज़े में ख़ुद-ब-ख़ुद आ जाता है और तेरा दोस्त बनना चाहता है उसका मतलब सिवा इसके और कुछ नहीं होता कि यह ताक़त पाकर ज़ियादा दुश्मनी करेगा। अ’क़्लमन्द लोगों ने कहा है कि जब दोस्त की दोस्ती पर भरोसा नहीं, तो दुश्मनों की चापलूसी से
कहानी-32- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैं अपने दमिश्क़ के दोस्तों के साथ रहते-रहते इतना ऊब गया कि मैं. कुद्स के जंगल की ओर निकल गया। वहाँ रहकर मैं जानवरों से प्रेम करने लगा। दुर्भाग्य से मुझे फ़िरंगियों ने क़ैद कर लिया और यहूदियों के साथ मुझे भी तराबलस में एक खाई की मिट्टी निकालने के काम
कहानी -10-परवरिश- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक फ़क़ीर की पत्नी गर्भवती थी। फ़क़ीर को कोई पुत्र नहीं था। जब प्रसव का समय निकट आया वो वह कहने लगा, अगर अल्लाह तआ’ला लड़का दे, तो मैं इस गुदड़ी के अ’लावा, जो कुछ धन मेरे पास है। मैं बाँट दूँगा। फ़क़ीर के घर लड़का ही पैदा हुआ। उसने अपने वा’दे के अनुसार
कहानी -32-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक मक्कार ने ढोंग रचा और सय्यदों की तरह बाल बाँध लिए। वह लोगों से कहने लगा कि वह अ’लवी है और हिजाज़ के एक क़ाफ़िले के साथ हज करके लौटा है। उसने बादशाह की प्रशंसा में एक क़सीदा पढ़कर मुनाया और कहा कि यह उसी ने लिखा है। बादशाह प्रभावित हुआ और उसने उसे बहुत-सा
कहानी -7-परवरिश- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक पीर के बारे में सुना कि वह एक मुरीद से कह रहा था कि इन्सान अपनी रोज़ी के साथ जितना लगाव रखता है और उसके लिए जितनी चिन्ता करता है यदि वही भाव रोज़ी देने वाले के लिए रखने लगे तो उसका दर्जा फ़रिश्तों से भी ऊँचा हो जाए। ऐ इन्सान! ख़ुदा तुझे उस
कहानी -2-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
दुनिया में दो तरह के आदमी बे-कार तकलीफ़ उठाते हैं। एक तो वे, जो कमाते हैं और उसे खाते नहीं। दूसरे वे, जो पढ़ते तो हैं लेकिन उस पर अ’मल नहीं करते। इ’ल्म तू चाहे जितना पढ़ ले, अगर तू उस पर अ’मल नहीं करता है तो तू जाहिल है। ऐसा आदमी न तो किसी बात को
कहानी -6-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
तीन चीज़ें टिकाऊ नहीं होती-माल बिना तिजारत, इ’ल्म बिना बहस और तदबीर बिना हुकूमत। कभी तो मेहरबानी, आवभगत और शराफ़त से काम निकाल, ताकि तू दूसरे के दिल को अपने क़ाबू में रख सके। कभी ग़ुस्से और सख़्ती से काम ले, क्योंकि कभी-कभी मिश्री के सौ कूज़े भी वह
कहानी -11-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
ख़ुदा करे किसी मुल्क पर ऐसा बादशाह हुकूमत न करे जो ख़ुदा का हुक्म नहीं मानता और उसकी बन्दगी नहीं करता। बादशाह को चाहिए कि दुश्मनों पर इतना ग़ुस्सा न करे, जिसे देख कर दोस्तों का उस पर भरोसा न रहे। ग़ुस्से की आग पहले ग़ुस्सा करने वाले को जलाती है। उसकी
कहानी -35-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैं कुछ बुज़ुर्ग लोगों के साथ कश्ती में सवार था। हमारे पीछे एक छोटी कश्ती नदी में डूब गई। दो भाई उसमें से गिरकर एक भंवर में फंस गए। एक बुज़ुर्ग ने नुक़्सान से कहा, जा, उन दोनों आदमियों को निकाल ला। मैं तुझे हर एक के लिए पचास-पचास दीनार दूँगा। नुक़्सान
कहानी -19-परवरिश- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने एक बुज़ुर्ग से मुहम्मद साहब की इस शिक्षा का अर्थ पूछा— तेरा सबसे बड़ा दुश्मन तेरा नफ़्स है। उन्होंने बताया कि नफ़्स को सबसे बड़ा दुश्मन इसलिए कहा गया है, क्योंकि अन्य दुश्मन तो ऐसे हैं कि यदि तुम उनके साथ एहसान करो तो वे तुम्हारे दोस्त बन जाते
कहानी-37- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक फ़क़ीर ऐसी जगह पहुँचा जहाँ का हाकिम बहुत उदार था! उसके पास हमेशा कुछ बुज़ुर्ग रहा करते थे। वे तरह-तरह की हास्य और विनोद भरी बात किया करते। फ़क़ीर बहुत चलकर आया था। वह बेहद थका हुआ और भूखा था। एक बुज़ुर्ग ने उससे हंसी में कहा, आप भी कुछ सुनाइए।, .
कहानी -26-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
यह ज़रूरी नहीं है कि जो लड़ने में तेज़ हो वह समझदारी की बात कहने में भी तेज़ हो। बहुत-सी अच्छे क़द वाली स्त्रियाँ पर्दे में छिपी अच्छी मा’लूम होती हैं, लेकिन पर्दा हटाने पर वे नानी की उ’म्र की बुढ़िया निकलती हैं।
कहानी -7-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
बुरे लोगों पर रहम करना भलों पर ज़ुल्म करना है और ज़ालिमों को मु’आफ़ कर देना फ़क़ीरों पर ज़ियादती करना है अगर तू किसी दुष्ट को मेहरबानी की नज़र से देखेगा तो वह तेरे ही पैसे से गुनाह करेगा।' बादशाहों की दोस्ती पर भरोसा नहीं करना चाहिए, न बच्चों की
कहानी-16- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
किसी नेक आदमी ने ख़्वाब में देखा कि एक बादशाह जन्नत में बैठा है और एक फ़क़ीर दोज़ख़ में। उसने वहाँ के लोगों से पूछा, इस बादशाह ने कौन-सा अच्छा काम किया कि यह जन्नत में आया? और उस फ़क़ीर ने कौन-सा बुरा काम किया जो दोज़ख़ में डाला गया? उसी समय आकाशवाणी
कहानी -73-ज़िन्दगी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
जो कमज़ोरों पर रहम नहीं करता वह ज़बर्दस्ती करने वालों का ज़ुल्म उठाता है। जिस बाज़ू में ज़ोर है उसे नहीं चाहिए कि वह किसी कमज़ोर का हाथ तोड़े। तू कमज़ोरों के दिल को मत दुखा नहीं तो किसी ज़बर्दस्त के ज़ुल्म का शिकार बनना पड़ेगा।
कहानी -19-सन्तोष- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मैंने बुरे वक़्त की कभी शिकायत नहीं की और न परेशान होकर मुंह बिगाड़ा। हाँ, एक बार मैं भी हिम्मत हार बैठा था। मेरे पास जूते ख़रीदने के लिए पैसे नहीं थे। मैं नंगे पाँव घूमा करता। मैं बहुत दुखी था। एक दिन मैं कूफ़ा की मस्जिद में पहुँचा। वहाँ मैंने एक
कहानी-33- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक बादशाह ने किसी आ’बिद से, जिसके बाल-बच्चे भी थे, पूछा, तेरी गुज़र-बसर कैसे होती है? उमने उत्तर दिया, तमाम रात ख़ुदा से बात करता हूँ। सुब्ह अपनी ज़रूरतों के लिए उससे दुआ’एँ माँगता हूँ और फिर तमाम दिन रोज़ी की फ़िक्र में काटता हूँ। बादशाह उसकी कठिनाई
कहानी -20-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक हाकिम के बारे में मैंने सुना कि वह बादशाह के ख़ज़ाने को भरने के लिए लोगों को लूट-लूटकर उन्हें तबाह करता था। उसने बुद्धिमानों की इस कहावत पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया कि जो व्यक्ति किसी दूसरे को ख़ुश करने के लिए ऐसे काम करता है जिनसे नुक़्सान नाराज़
कहानी -2-सन्तोष- गुलिस्तान-ए-सा’दी
मिस्र देश में एक अमीर के दो बेटे थे। एक ने विद्या पाने में अपना जीवन लगा दिया और दूसरे ने धन कमाने में। पहला एक बड़ा आ’लिम बना और दूसरा मित्र का वज़ीर बन गया। एक दिन वज़ीर ने आ’लिम की तरफ़ उपेक्षा-भरी दृष्टि डाली और कहा, मैं तो आज हुकूमत कर रहा हूँ
कहानी-27- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक बार हिजाज़ के सफ़र मे मेरे साथ कुछ फ़क़ीर भी जा रहे थे। लोग आपस में दोस्ती और हमदर्दी रखते थे। रास्ता काटने के लिए वे सभी गाना गाते और शे’र पढ़ते जा रहे थे। इसी क़ाफ़िले में एक फ़क़ीर था जो सबसे अलग-अलग रहता। न तो वह अल्लाह को याद करने में उनके साथ
कहानी -29-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक वज़ीर हज़रत जुन्नून मिस्री के पास गया और उनसे कहा, मैं दिन-रात अपने बादशाह की ख़िदमत में लगा रहता है। सदा उसकी भलाई चाहता है। परन्तु मुझे उसके क्रोध से हमेशा डर लगा रहता है। हज़रत जुन्नून यह सुनकर रो पड़े और बोले, “यदि मैं भी उस ख़ुदा से, जो सबसे
कहानी -2-परवरिश- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक अ’क़्लमन्द अपने बेटो को नसीहत दे रहा था, ऐ बाप के प्यारो! हुनर सीखो। इसलिए कि हुकूमत और दुनिया की दौलत पर कोई भरोसा नहीं किया जा सकता। सोने और चाँदी में ख़तरा है। या तो उसे चोर ले जाएगा या लोग उसे खा जाएँगे। हुनर कभी न सूखने बाला सोता है और हमेशा
कहानी -21-राजनीति- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक सिपाही के बारे में कहा जाता है कि उसने किसी फ़क़ीर के सिर पर पत्थर दे मारा। उस बेचारे में बदला लेने की ताक़त तो थी नहीं: उसने उसी पत्थर को संभाल कर अपने पास रख लिया। एक दिन ऐसा हुआ कि बादशाह को उस सिपाही पर क्रोध आ गया और उसने उसे एक कुँए में क़ैद
कहानी -14-ख़ामोशी- गुलिस्तान-ए-सा’दी
एक बे-सुरी आवाज़ वाला क़ारी ज़ोर-ज़ोर से क़ुरआन शरीफ़ पढ़ा करता था। एक ख़ुदा-परस्त उधर से गुज़रा। उसने पूछा, तुझे इस काम के लिए कितनी तनख़्वाह मिलती है? वह बोला, कुछ नहीं। ख़ुदा-परस्त ने कहा, फिर तू इतनी तकलीफ़ क्यों उठाता है? क़ारी ने उत्तर दिया,